Success Story : 10 साल की उम्र में शादी, घरेलू हिंसा का झेला दर्द, कभी ₹2 कमाने वाली कल्पना आज संभाल रही करोड़ों की कंपनी

It is said that if the spirits are high then even barren land can be made buzzing. There come many such occasions in life when it seems that everything is over. But, those who control themselves at that time become stories and inspire others. Similar is the story of Kalpana Saroj, born in 'Vidarbha' of Maharashtra. There was a time when Kalpana wanted to end her life. But, that one moment changed his life.

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By Page3 Reporter
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कहते हैं कि हौसले बुलंद हों तो बंजर जमीन को भी गुलजार किया जा सकता है । जिंदगी में ऐसे कई मौके आते हैं जब लगता है कि सब खत्म हो गया। लेकिन, जो लोग उस वक्त खुद को संभाल लेते हैं, वह कहानियां बनकर दूसरों को प्रेरित करते हैं। ऐसी ही कहानी है महाराष्ट्र के ‘विदर्भ’ में पैदा हुईं कल्पना सरोज की। एक वक्त ऐसा भी था जब कल्पना अपनी जिंदगी को खत्म करना चाहती थी। लेकिन, उस एक पल ने ही उनकी जिंदगी को बदल दिया। 

वह पथ क्या पथिक, कुशलता क्या,
जिस पथ पर बिखरे शूल न हों।
नाविक की धैर्य कुशलता क्या,
जब धाराऐं प्रतिकूल न हों।
महान हिंदी कवि जयशंकर प्रसाद की कविता की ये पंक्तियां संभवत दो रुपये की मजदूरी से शुरुआत कर करोड़ों के साम्राज्य की मालकिन बनने वाली कल्पना सरोज के लिए ही लिखी गयी होंगी। पारिवारिक, सामाजिक संकट झेलकर भी कल्पना सरोज ने एक सफल बिजनेसवूमन बनकर सभी को प्रेरणा दी है।

​कल्पना सरोज के संघर्ष की कहानी​

कल्पना सरोज (Success Story Of Kalpana Saroj) का जन्म महाराष्ट्र के अकोला जिले के छोटे से गाँव रोपरखेड़ा में हुआ था। वह जिस परिवार में जन्मी वह काफी गरीब था. घर का खर्चा भी बहुत मुश्किल से चलता था। कल्पना सरकारी स्कूल में पढ़ती थीं और वह हमेशा पढ़ाई में आगे थीं। महज 12 साल की उम्र में ही उनकी शादी 10 साल बड़े आदमी से कर दी गई थी।

कल्पना ने अपने एक इंटरव्यू में बताया था कि वह जब अपने ससुराल में गईं तो उन्हें वहां कई यातनाएं झेलनी पड़ी। वह लोग उन्हें खाना नहीं देते थे. बाल पकड़ कर मारते थे। ऐसा बर्ताव करते थे कि कोई जानवर के साथ भी ऐसा न करे। इन सभी से कल्पना की हालत बहुत खराब हो चुकी थीं। लेकिन फिर एक बार कल्पना के पिता उनसे मिलने आए तो बेटी की यह दशा देख उन्होंने समय नहीं बर्बाद किया और गांव वापस ले आए। लेकिन, वहां मुसीबतें पहले से ही उनका इंतजार कर रही थीं। ससुराल छोड़ने की सजा कल्पना और उनके परिवार को दे दी गई। पंचायत ने कल्पना के परिवार का हुक्का-पानी बंद कर दिया। तमाम मुश्किलें झेल रही कल्पना जीने की हिम्मत खो चुकी थी। उन्होंने खुदकुशी करने की कोशिश की, लेकिन किसी ने उन्हें बचा लिया। वह एक पल था, जिसने कल्पना की जिंदगी को बदल दिया। उसी पल से उन्होंने सिर्फ अपने लिए जीने का फैसला किया।

​वापस मुबंई लौटी, 2 रुपये की कमाई​

16 साल की उम्र में कल्पना फिर से मुबंई लौटीं। किसी जान पहचान वाले ने उनकी नौकरी एक गारमेंट कंपनी में लगवा दी। वहां उन्हें रोज 2 रुपये की मजदूरी मिलती थी । वहां काम करते हुए उन्होंने काम को समझने की कोशिश की। वो समझ गई कि गारमेंट सेक्टर में बहुत काम है। उन्होंने अपना काम शुरू करने का फैसला किया। सरकारी स्कीम की मदद से थोड़े पैसे लोन पर मिल गए। एक सिलाई मशीन खरीद ली और वो अब खुद से लोगों के कपड़े सिलने लगी। कमाई 2 रुपये से बढ़कर 10 रुपये पर पहुंच गई। कल्पना ने 17-18 घंटे काम काम किया। जो कमाती उसमें से कुछ खुद के गुजारे के लिए रखती, बाकी घर भेज देती थी।

युवाओं को सीख

■ सफल होने का सबसे अच्छा तरीका है कभी हार न मानें और हमेशा प्रयास करते रहें।

■ कड़ी मेहनत और सकारात्मक सोच से आप जीवन में सफलता प्राप्त कर सकते हैं।

■ विपरीत परिस्थितियों को चुनौती के रूप में लेकर सफलता की कहानी लिखी जा सकती है।

■ किसी बड़े पहाड़ पर चढ़ने के बाद ही हमें एहसास होता है कि अभी ऐसे कई पहाड़ चढ़ने बाकी हैं।

■ विश्वास वह शक्ति है जिससे वीरान दुनिया भी रोशन हो सकती है।

​फिर हुई ‘कमानी ट्यूब्स’ की शुरुआत​


कल्पना ने अपनी सेविंग से बचे कुछ पैसों से एक फर्नीचर स्टोर की शुरुआत। फिर एक ब्यूटी पार्लर भी खोला। इसी दौरान उन्हें पता चला कि 17 साल से बंद पड़ी कमानी ट्यूब्स को सुप्रीम कोर्ट ने उसके कामगारों से शुरू करने के लिए कह रही है। कल्पना ने उन कामगारों से साथ मिलकर कंपनी को फिर से शुरू किया। हालांकि कई चुनौतियां सामने आई, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। आज कमानी ट्यूब्स करोड़ों का टर्नओवर कर रही है।

कल्पना को न तो कंपनी चलाने का अनुभव था, न मैनेजमेंट संभालने का। पढ़ाई या डिग्री भी उनके पास नहीं थी। अगर कुछ था तो सीखने की ललक। इसी ललक ने उन्हें कहीं रूकने नहीं दिया। एक कंपनी सफल हुयी तो दूसरी कंपनी के बारे में सोचने लगी। कमानी ट‌्यूब का का काम चल निकला तो दूसरी कंपनी को खड़ा करने पर काम होने लगा। तभी तो आज उनके पास कई कंपनी हो गयी। इस समय कल्पना कमानी ट्यूब्स, कमानी स्टील्स, केएस क्रिएशंस, कल्पना बिल्डर एंड डैवलपर्स, कल्पना एसोसिएट्स जैसी दर्जनों कंपनियों की कमान संभाल रही हैं।

कामयाबी को सम्मान

उनकी इस महान उपलब्धि के लिए उन्हें 2013 में ‘पद्म श्री’ सम्मान से भी नवाज़ा गया और कोई बैंकिंग बैकग्राउंड ना होते हुए भी सरकार ने उन्हें भारतीय महिला बैंक के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स में शामिल किया। इसके अलावा कल्पना सरोज कमानी स्टील्स, केएस क्रिएशंस, कल्पना बिल्डर एंड डेवलपर्स, कल्पना एसोसिएट्स जैसी दर्जनों कंपनियों की मालकिन हैं . इन कंपनियों का रोज का टर्नओवर करोड़ों का है।समाजसेवा और उद्यमिता के लिए कल्पना को पद्मश्री और राजीव गांधी रत्न के अलावा देश-विदेश में दर्जनों पुरस्कार मिल चुके हैं।

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