आर्थराइटिस, जिसे आमतौर पर जोड़ों में सूजन और दर्द के रूप में जाना जाता है, अब केवल बुजुर्गों की बीमारी नहीं रह गई है। हाल के अध्ययनों से यह स्पष्ट हो रहा है कि युवा जनसंख्या भी इस गंभीर समस्या की चपेट में आ रही है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, बदलते खानपान, अस्वस्थ लाइफस्टाइल, शारीरिक निष्क्रियता और बढ़ते मोटापे के कारण युवा पीढ़ी में आर्थराइटिस के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं।
हालांकि, हालिया शोध ने इस धारणा को और गहरा किया है कि आर्थराइटिस के बढ़ते मामलों का मुख्य कारण क्रमिक जीवनशैली में बदलाव ही नहीं, बल्कि बढ़ता प्रदूषण भी है। इसलिए, आवश्यक है कि हम इस नई समस्या को गंभीरता से लें।
दुनिया भर में हर साल 12 अक्टूबर को वर्ल्ड आर्थराइटिस डे मनाने का उद्देश्य इस बीमारी के प्रति जागरूकता बढ़ाना है। इसी सिलसिले में आयोजित भारतीय रुमेटोलॉजी एसोसिएशन (IRACON 2025) के 40वें वार्षिक सम्मेलन में स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने इस दिशा में महत्वपूर्ण जानकारी साझा की।
वायु प्रदूषण और आर्थराइटिस
विशेषज्ञों का कहना है कि वायु प्रदूषण, जो पहले फेफड़ों की बीमारियों के लिए जिम्मेदार माना जाता था, अब रूमेटाइड आर्थराइटिस जैसे ऑटोइम्यून रोगों को भी बढ़ावा दे रहा है। यह एक दीर्घकालिक बीमारी है जो शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली द्वारा गलती से जोड़ों के ऊतकों पर हमला करने के कारण होती है। इसके गंभीर प्रभावों में दर्द, सूजन और अकड़न शामिल हैं।
दिल्ली-एनसीआर जैसे क्षेत्रों में बढ़ते प्रदूषण और विशेष रूप से पीएम2.5 के स्तर में वृद्धि को रूमेटाइड आर्थराइटिस के मामलों में वृद्धि के लिए जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि प्रदूषण के कारण होने वाले शारीरिक परिवर्तनों के चलते युवा पीढ़ी में आर्थराइटिस का खतरा बढ़ रहा है।
आर्थराइटिस के संकेत और ध्यान देने की आवश्यकता
अगर आप भी जोड़ों में लगातार दर्द और जकड़न का अनुभव कर रहे हैं, तो यह समय है कि आप डॉक्टर से सलाह लें। यह समस्या न केवल आपके स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकती है, बल्कि आपकी जीवन की गुणवत्ता को भी कम कर सकती है।
वर्तमान स्टडीज में, स्वास्थ्य विशेषज्ञ इस बात पर जोर दे रहे हैं कि हमें अपनी सेहत के प्रति और अधिक सावधान रहना चाहिए। खानपान और दैनिक दिनचर्या में सुधार के साथ-साथ, प्रदूषण के स्तर को कम करने के प्रयासों में भी भाग लेना अत्यंत महत्वपूर्ण है।
स्वास्थ्य संकट के रूप में सामने आ रहा आर्थराइटिस
राष्ट्रव्यापी स्वास्थ्य प्रहरी अब आर्थराइटिस को एक गंभीर स्वास्थ्य संकट के रूप में देख रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि आर्थराइटिस के बढ़ते मामलों की रोकथाम के लिए हमें एक व्यापक दृष्टिकोण अपनाना होगा। जीवनशैली में सुधार, स्वच्छता के उपाय और पर्यावरण के प्रति सजग रहकर ही हम इस गंभीर समस्या से निपट सकते हैं।
युवाओं में आर्थराइटिस की समस्याओं की बढ़ती संख्या यह दर्शाती है कि हमें सेहतमंद जीवनशैली अपनाने की आवश्यकता है। नियमित व्यायाम, संतुलित आहार, और मानसिक तनाव को कम करने के उपाय हमारी सेहत को बेहतर बनाने में मदद कर सकते हैं।
आर्थराइटिस के प्रति जागरूकता बढ़ाना और इसके संभावित कारणों को समझना आवश्यक है। हमें याद रखना चाहिए कि स्वस्थ जीवनशैली और स्वच्छ पर्यावरण हमारे भविष्य के लिए महत्वपूर्ण हैं। अपने स्वास्थ्य के प्रति जिम्मेदार बनें और समय रहते उचित उपाय करें।
वर्तमान में, यह एक ऐसा मुद्दा है, जिसे अनदेखा नहीं किया जा सकता है। प्रदूषण और जीवनशैली में सुधार के लिए सभी को अपनी भूमिका निभाने की आवश्यकता है, ताकि हम आर्थराइटिस जैसे गंभीर रोगों से बच सकें और स्वस्थ जीवन जी सकें।