नई दिल्ली । श्रीराम सर आजकल राजधानी दिल्ली में आए हुए हैं। वे इस बार लंबे अंतराल के बाद दिल्ली वालों से मिल रहे हैं। एक दौर में वे अपने दिल्ली प्रवास के दौरान भारत के तत्कालीन राष्ट्रपतियों क्रमश: डॉ.शंकर दयाल शर्मा, डॉ. के.आर. नारायणन और प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से लेकर आम और खास लोगों से मिलते। वे किसी अन्य धर्म गुरु या बाबा की तरह हजारों-लाखों लोगों के बीच जाकर अपनी बात नहीं रखते। प्रवचन नहीं देते। उनका अपना कोई आश्रम, मठ या संप्रदाय भी नहीं है। वे सामान्य नागरिक के रूप में रहते हैं। पर उनके शिष्यों का संसार बहुत व्यापक है।
दरअसल श्रीराम सर राजधानी में एक बुक लॉच के कार्यक्रम में शामिल होने के लिए आए हैं। किताब का नाम है ‘दि सेक्रेड बुक आफ डिवाइन गाइडेंस’(The Sacred Book of Divine Guidance)। इसमें श्रीराम सर की चर्चा की गई है कि वे किस तरह से दुनिया भर में लोगों का जीवन बदल रहे हैं, लोगों को प्रेरित कर रहे हैं, निष्क्रिय लोगों को प्रेरित कर रहे हैं और टूटे हुए दिलों को जोड़ रहे हैं। उनकी कार्यशालाओं “आई ऑन आई”,”सेलिब्रेशन ऑफ लाइफ”(Celebration of Life) या “जर्नी इनटू जॉय” (Celebration of Life) के दौरान हजारों लोग एकत्र होते हैं।
अब प्रश्न ये है कि कौन हैं श्रीराम सर ?
उनकी जीवनी “गॉड इनकॉग्निटो: द बिगिनिंग” के लेखक नरेन्द्रादित्य कोमारगिरी कहते हैं, “अपने मानवीय रूप में, भगवान श्रीराम सर अंग्रेजी में डॉक्टरेट हैं और 2015 में हैदराबाद के इंस्टिट्यूट ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स से अंग्रेजी व्याख्याता के रूप में सेवानिवृत्त हुए। वे अपने परिवार के साथ हैदराबाद में एक साधारण जीवन व्यतीत कर रहे हैं।”
श्रीराम सर के सितंबर 2016 में बोस्टन के प्रतिष्ठित हार्वर्ड विश्वविद्यालय में आयोजित ‘आई ऑन आई’ कार्यशाला ने अमेरिकी प्रतिभागियों को मंत्रमुग्ध कर दिया था। श्रीराम सर की कई मोटिवेशनल पुस्तकों की लाखों प्रतियां बिक चुकी हैं। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड की पिच कमेटी के चेयरमेन रहे दिल्ली रणजी ट्रॉफी टीम के पूर्व कप्तान वेंकट सुंदरम भी श्रीराम सर के शिष्यों में हैं। वे बुक लॉच कार्यक्रम के मेजबानों में से हैं। वे दावा करते हैं कि श्रीराम सर ने कैंसर, लकवा के असाध्य मामलों को ठीक किया और एक इंजीनियर को दृष्टि भी प्रदान की जिसने ईसीआईएल, हैदराबाद में एक सिलेंडर विस्फोट में इसे खो दिया था। इंजीनियर की दोनों आँखों में कॉर्निया और रेटिना पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गए थे, लेकिन उसके बाद वह पूरी तरह से सामान्य हो गया। श्रीराम सर वेदों से लेकर एयरोस्पेस तक दुनिया के हर विषय पर पूरे अधिकार के साथ बोल सकते हैं। अमेरिका के पेन स्टेट विश्वविद्यालय में आयोजित एक संगोष्ठी में रसायन विज्ञान के 36 नोबेल पुरस्कार विजेता उनके रसायन विज्ञान पर सवालों के जवाब नहीं दे सके थे। बाद में उन्होंने उन सवालों के उत्तर दिए।
प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी 1997 में श्रीराम सर से मिले। उस मुलाकात के बाद अटल जी उनके भक्त बन गए। उसके बाद कुछ और दिव्य अनुभवों के साथ, वाजपेयी जी को यह महसूस करने में अधिक समय नहीं लगा कि श्रीराम सर वास्तव में भगवान का मानवीय रूप हैं। यह सब बातें-दावें नरेन्द्रादित्य कोमारगिरी करते हैं।
श्रीराम सर देश के दक्षिणी राज्यों और विदेशों में मोटिवेशनल स्पीकर के रूप में अपनी अलग तरह की पहचान बना चुके हैं। दरअसल मोटिनेशनल स्पीकर कई तरह के होते हैं, और लोग अलग-अलग कारणों से उनसे प्रभावित होते हैं। श्रीराम सर अपनी व्यक्तिगत कहानियों या दूसरों की कहानियों के माध्यम से अपने पाठकों और श्रोताओं को प्रेरणा देते हैं। वे संघर्षों, चुनौतियों, और सफलताओं की बात करते हैं जो श्रोताओं को भावनात्मक रूप से जोड़ती हैं। नरेन्द्रादित्य कोमारगिरी कहते हैं कि लोग श्रीराम सर से इसलिए प्रभावित होते हैं क्योंकि ये कहानियां वास्तविक और विश्वसनीय लगती हैं। श्रोता अपने जीवन में भी ऐसी ही परिस्थितियों से गुजर रहे होते हैं और इन कहानियों से उन्हें उम्मीद और साहस मिलता है। अमेरिका और यूरोप में काम करने वाले हजारों आई.टी. पेशेवर श्रीराम सर की किताबों के पाठक हैं। वे इनसे इसलिए प्रभावित होते हैं क्योंकि ये उन्हें अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए एक स्पष्ट रास्ता दिखाते हैं। वे अपनी क्षमता को पहचानने और उसे हासिल करने के लिए प्रेरित होते हैं।
श्रीराम सर कहते हैं कि वे मोटिवेशनल भाषणों में सकारात्मक सोच, कृतज्ञता, और आशावाद पर जोर देते हैं। मैं अपने श्रोताओं को प्रेरित करता हूं कि वे अपनी चुनौतियों का सामना सकारात्मकता के साथ करें। बेशक, हर इंसान के जीवन में कभी-कभी बहुत हताशा- निराशा का दौर आता है। उस समय उसे किसी मोटिवेशनल स्पीकर का सहारा चाहिए होता है,जो एक स्पष्ट और शक्तिशाली संदेश दे सके।