शुक्रवार को देशभर में सुहागिन महिलाओं ने अखंड सुहाग की कामना के साथ करवा चौथ का पावन व्रत रखा। यह उत्सव हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है, जिसे चंद्रोदय व्यापिनी चतुर्थी या करक चतुर्थी भी कहा जाता है। इस दिन, महिलाएं निर्जला उपवास करके अपने पतियों की लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य की कामना करती हैं।
सुबह सूर्योदय से शुरू होने वाले इस कठिन व्रत के दौरान लाखों महिलाओं ने दिनभर पानी भी नहीं पिया। शाम होते-होते उनकी नजरें आसमान पर टिकी थीं। जैसे ही चंद्रमा ने दर्शन दिए, घरों और मंदिरों में खुशी का माहौल बन गया। चंद्रमा का पूजन करते समय महिलाओं ने भगवान शिव, माता पार्वती, गणेश और कार्तिक देवता के साथ-साथ चंद्र देव का भी आशीर्वाद लिया। श्रद्धालुओं ने फल, मेवे, मिठाई आदि का भोग चढ़ाकर अपनी भक्तिभाव को दर्शाया।
व्रत कथा सुनने के बाद, चंद्रमा के दर्शन पर महिलाओं ने अपने पति का चेहरा देखकर उनके हाथों से पानी ग्रहण कर व्रत खोला। इस अवसर पर कई महिलाओं ने सामूहिक रूप से व्रत पूजन किया, जिससे यह पर्व सामुदायिक भावना को और बल मिला। विशेष श्रृंगार के लिए महिलाएं पारंपरिक वेशभूषा में सज-धजकर तैयार हुईं, जो इस पर्व की भक्ति और श्रद्धा को प्रतिबिंबित करते हुए दिखाई दीं।
करवा चौथ का यह पर्व न केवल समर्पण और प्रेम का प्रतीक है, बल्कि इसमें भारतीय समाज की परंपराएँ भी झलकती हैं। घरों में व्यस्तता के बावजूद, महिलाएं अपने पतियों के लिए इस व्रत को श्रद्धा के साथ करती हैं, जिससे उनका प्यार और समर्पण प्रकट होता है। रात का समय जैसे ही आया, चंद्रमा के आसमान में उगने के साथ ही यह पर्व अपनी चरम सीमा पर पहुँच गया।
उज्जवल रात्रि के दौरान चांद के दर्शन के लिए महिलाएं उत्सुक थीं। चाँद के निकलते ही हर जगह दुआओं और भजनों की गूंज सुनाई दी। दिल्ली, मुंबई, लखनऊ, जयपुर और कोलकाता जैसे बड़े शहरों में चंद्र दर्शन होते ही व्रति महिलाओं ने अर्घ्य देकर अपने उपवास का पारण किया। इस दौरान उनके चेहरे पर उल्लास और संतोष की झलक साफ देखी जा सकती थी।
इस वर्ष करवा चौथ के पारण का माहौल एक साथ हर जगह देखने को मिला। जैसे-जैसे चंद्रमा की रोशनी बिखरने लगी, महिलाएं अपने-अपने घरों में आईं और अपने पतियों के लिए यह विशेष दिन मनाने का आभार प्रकट किया। यह पर्व सामाजिक एकता और प्रेम का प्रतीक बनकर उभरा।
करवा चौथ के बाद अब संतान की लंबी उम्र के लिए कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर अहोई व्रत रखा जाएगा। इस व्रत में महिलाएं संतान के अच्छे स्वास्थ्य की कामना करते हुए अहोई माता का पूजन करती हैं। अहोई अष्टमी इस बार 13 अक्तूबर को मनाई जाएगी।
करवा चौथ का यह पर्व हर साल एक नई ऊर्जा और उमंग के साथ माताओं, बहनों और पत्नियों के बीच अपने रिश्तों को मजबूत बनाता है। यह व्रत न केवल पारंपरिक आस्था का प्रतीक है बल्कि भारतीय संस्कृति के विविध पहलुओं को भी उजागर करता है।