आरओ सिस्टम: ‘शुद्धिकरण’ का एक अनकहा सच जो आपकी सेहत के लिए बन सकता है खतरा

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रुपिका भटनागर । हमारे देश में, जहाँ हर कोई अपने और अपने परिवार के स्वास्थ्य को सर्वोपरि मानता है, शुद्ध पेयजल तक पहुंच एक मौलिक आवश्यकता बन गई है। हम सभी यह सोचकर रिवर्स ऑस्मोसिस (RO) सिस्टम का अच्छा-खासा खर्च उठाते हैं कि “जान है तो जहान है।” स्वस्थ रहने के लिए आरओ से फिल्टर पानी पीते हैं ताकि अशुद्ध पानी से कोई बीमारी न हो जाए, खासकर ऐसे समय में जब जल जनित रोगों का खतरा हमेशा मंडराता रहता है। लेकिन क्या हो अगर जिस प्रणाली पर हम इतना भरोसा करते हैं, वही हमारे स्वास्थ्य के लिए अनजाने में खतरा बन रही हो? यह सवाल अब स्थानीय विशेषज्ञों, प्रतिष्ठित राष्ट्रीय संस्थानों और यहाँ तक कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा भी उठाया जा रहा है।

सच्चाई कुछ और ही है। आरओ सिस्टम, जबकि पानी से हानिकारक अशुद्धियों को प्रभावी ढंग से हटाता है, इस प्रक्रिया में उसमें घुले हुए आवश्यक खनिज पदार्थों को भी खत्म कर देता है जो हमारे शरीर के लिए बेहद महत्वपूर्ण होते हैं। इस कारण विशेषज्ञों की चेतावनी है कि आरओ का पानी कुछ बीमारियों से हमें दूर रखता है तो वहीं कई तरह की नई स्वास्थ्य समस्याओं को भी जन्म दे सकता है। साफ-साफ शब्दों में कहें तो, आरओ का पानी, यदि ठीक ढंग से प्रबंधित न किया जाए, तो वह आपके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है। यह एक ऐसी दोहरी धार वाली तलवार है जिसे हमें बेहद सावधानी से इस्तेमाल करने की आवश्यकता है।

आरओ: एक दोधारी तलवार – क्यों है ये खतरनाक?

रिवर्स ऑस्मोसिस (RO) तकनीक पानी को साफ करने का एक बेहद प्रभावी तरीका है। यह पानी को एक अर्ध-पारगम्य झिल्ली (semi-permeable membrane) से उच्च दबाव पर गुजारता है। यह झिल्ली सूक्ष्म से सूक्ष्म कणों, बैक्टीरिया, वायरस, लवणों और अन्य घुले हुए ठोस पदार्थों (Total Dissolved Solids – TDS) को रोक लेती है, जिससे हमें अत्यंत शुद्ध पानी प्राप्त होता है। यह उन क्षेत्रों के लिए एक वरदान साबित हो सकता है जहाँ पानी में भारी धातुएँ, अत्यधिक लवणता या अन्य गंभीर रासायनिक संदूषक मौजूद हों।

हालांकि, यहीं पर समस्या उत्पन्न होती है। आरओ सिस्टम इतना कुशल है कि यह केवल हानिकारक तत्वों को ही नहीं, बल्कि कैल्शियम, मैग्नीशियम और बाइकार्बोनेट जैसे उन महत्वपूर्ण खनिजों को भी हटा देता है जिनकी हमारे शरीर को सुचारु रूप से कार्य करने के लिए बहुत आवश्यकता होती है। ये खनिज न केवल हड्डियों और दांतों के निर्माण के लिए महत्वपूर्ण हैं, बल्कि हृदय कार्यप्रणाली, तंत्रिका संचरण, मांसपेशियों के संकुचन और चयापचय प्रक्रियाओं में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। जब हम लंबे समय तक खनिज-रहित या खनिज-कम पानी पीते हैं, तो हमारा शरीर इन आवश्यक पोषक तत्वों की कमी का अनुभव करने लगता है, जिससे विभिन्न प्रकार की स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।

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विशेषज्ञों की राय: ‘संतुलन’ ही कुंजी है

इस गंभीर मुद्दे पर, वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR)- राष्ट्रीय पर्यावरण इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्थान (NEERI), नागपुर के जल प्रौद्योगिकी और प्रबंधन प्रभाग के प्रधान वैज्ञानिक, डॉ. अतुल वी मालधुरे ने हाल ही में आरओ सिस्टम पर आयोजित एक वेबिनार में महत्वपूर्ण जानकारी साझा की। उन्होंने स्पष्ट किया कि यदि आरओ का उपयोग करना ही है, तो यह सुनिश्चित करें कि फिल्टर किए गए पानी में 200 से 250 मिलीग्राम प्रति लीटर (mg/L) की दर से घुले हुए ठोस पदार्थ (TDS) शामिल रहें। यह एक महत्वपूर्ण सुझाव है क्योंकि ऐसा करने पर कैल्शियम और मैग्नीशियम सहित सभी आवश्यक खनिजों की आवश्यक सप्लाई शरीर को होती रहेगी। डॉ. मालधुरे ने कहा कि अशुद्धियों को दूर करने के अलावा, आरओ फायदेमंद खनिजों को भी हटा सकता है, और इस संतुलन को बनाए रखना आवश्यक है।

यह ध्यान देना महत्वपूर्ण है कि कई घरों में आरओ सिस्टम लगाने के बाद पानी का टीडीएस स्तर 50 मिलीग्राम/लीटर से भी नीचे चला जाता है, जो स्वास्थ्य के लिए गंभीर रूप से हानिकारक हो सकता है। विशेषज्ञ इस बात पर जोर देते हैं कि पानी की गुणवत्ता को केवल उसकी ‘शुद्धता’ से नहीं आँका जा सकता, बल्कि उसमें मौजूद आवश्यक खनिजों की पर्याप्त मात्रा से भी आँका जाना चाहिए।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की स्पष्ट चेतावनी

यह केवल भारतीय विशेषज्ञों का मत नहीं है, बल्कि वैश्विक स्वास्थ्य प्राधिकरण, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भी आरओ फिल्टर के अत्यधिक और अनुचित उपयोग के खिलाफ स्पष्ट चेतावनी दी है। डब्ल्यूएचओ ने 2019 में एक महत्वपूर्ण बयान जारी किया था, जिसमें कहा गया था, “आरओ मशीनें पानी को साफ करने में बहुत प्रभावी हैं, लेकिन वे कैल्शियम और मैग्नीशियम को भी हटा देती हैं, जो शारीरिक ऊर्जा और विभिन्न शारीरिक क्रियाओं के लिए बहुत जरूरी हैं। इसलिए, लंबे समय तक आरओ का पानी पीना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।”

डब्ल्यूएचओ ने प्रति लीटर पानी में आवश्यक खनिजों की न्यूनतम मात्रा भी निर्धारित की है:

  • कैल्शियम: 30 मिलीग्राम
  • मैग्नीशियम: 20 मिलीग्राम
  • बाइकार्बोनेट: 30 मिलीग्राम

ये दिशानिर्देश इस बात को रेखांकित करते हैं कि पानी केवल एक हाइड्रेशन स्रोत नहीं है, बल्कि हमारे शरीर के लिए आवश्यक खनिजों का एक महत्वपूर्ण स्रोत भी है। आरओ द्वारा इन खनिजों को पूरी तरह से हटा देने से शरीर में इनकी कमी हो सकती है, जिससे विभिन्न प्रकार की शारीरिक और मानसिक समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।

चिकित्सकों की राय: क्लीनिकल अनुभव क्या कहते हैं?

चिकित्सा जगत भी इस मुद्दे को लेकर चिंतित है और अपने अनुभव साझा कर रहा है। सर गंगा राम अस्पताल में गैस्ट्रोएंटरोलॉजी के प्रमुख डॉ. अनिल अरोड़ा ने सलाह दी है कि आरओ से फिल्टर पानी के बजाय लोगों को नाइट्रेट जैसी अशुद्धियों को फिल्टर करने के बाद उबला हुआ पानी पीना चाहिए। उन्होंने बताया कि उबालने से केवल बैक्टीरिया, वायरस और फंगस जैसे सूक्ष्मजीव मरते हैं, लेकिन पानी में घुलनशील खनिज पदार्थ बरकरार रहते हैं।

डॉ. अरोड़ा ने एक चौंकाने वाला उदाहरण भी दिया। उन्होंने बताया कि चेकोस्लोवाकिया और स्लोवाकिया (अब दो अलग-अलग देश) में आरओ वाटर को अनिवार्य बनाने के पांच साल बाद अधिकारियों ने देखा कि लोग मांसपेशियों में थकान, ऐंठन, शरीर में दर्द, याददाश्त की कमी जैसी विभिन्न शारीरिक समस्याओं की शिकायत कर रहे थे। गहन जांच के बाद पता चला कि ये सभी लक्षण खनिजों, विशेषकर कैल्शियम और मैग्नीशियम की कमी के कारण थे, जो आरओ के पानी के लंबे समय तक सेवन का परिणाम था। यह एक स्पष्ट संकेत है कि शुद्धता के नाम पर आवश्यक खनिजों का त्याग करना कितना महंगा पड़ सकता है।

मेदांता अस्पताल में वरिष्ठ सलाहकार (गैस्ट्रोएंटरोलॉजी) डॉ. अश्विनी सत्य ने हमारे सहयोगी अखबार द टाइम्स ऑफ इंडिया (TOI) को बताया, “आरओ बैक्टीरिया, वायरस, फंगस जैसे रोगाणुओं और विषाक्त पदार्थों को फिल्टर करता है, लेकिन हमें आवश्यक खनिजों से वंचित होने की कीमत चुकानी पड़ती है।” यह कथन इस समस्या के मूल को सारगर्भित करता है: हम एक खतरे से बचने के लिए दूसरे खतरे को आमंत्रित कर रहे हैं।

दीर्घकालिक स्वास्थ्य जोखिम: अध्ययन क्या दर्शाते हैं?

“आरओ वाटर पीने से मानव स्वास्थ्य पर प्रभाव” (Impact of RO Water on Human Health) नाम से की गई एक स्टडी ने आरओ वाटर के दीर्घकालिक सेवन से जुड़े गंभीर स्वास्थ्य जोखिमों पर प्रकाश डाला है। इस अध्ययन से पता चला है कि लंबे समय तक आरओ वाटर पीने से निम्नलिखित समस्याएं पैदा होने लगती हैं:

  • गठिया (Arthritis): कैल्शियम और मैग्नीशियम की कमी हड्डियों और जोड़ों के स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकती है, जिससे गठिया और हड्डियों से संबंधित अन्य समस्याएं विकसित हो सकती हैं।
  • अवसाद (Depression) और चिड़चिड़ापन (Irritability): मैग्नीशियम एक महत्वपूर्ण खनिज है जो तंत्रिका तंत्र के समुचित कार्य के लिए आवश्यक है। इसकी कमी मूड स्विंग, अवसाद और चिड़चिड़ापन का कारण बन सकती है।
  • हड्डियों में कमजोरी (Weak Bones): कैल्शियम हड्डियों और दांतों का प्राथमिक घटक है। आरओ पानी से इसकी कमी से हड्डियां कमजोर हो सकती हैं, जिससे ऑस्टियोपोरोसिस और फ्रैक्चर का खतरा बढ़ जाता है।
  • बालों का झड़ना (Hair Loss): खनिजों की कमी, विशेष रूप से जस्ता और मैग्नीशियम, बालों के स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकती है जिससे बालों का पतला होना और झड़ना शुरू हो सकता है।
  • मांसपेशियों में ऐंठन और थकान: कैल्शियम और मैग्नीशियम दोनों ही मांसपेशियों के संकुचन और विश्राम के लिए महत्वपूर्ण हैं। इनकी कमी से मांसपेशियों में ऐंठन, कमजोरी और सामान्य थकान हो सकती है।
  • हृदय संबंधी समस्याएं: मैग्नीशियम हृदय के स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है। इसकी कमी अनियमित दिल की धड़कन और अन्य हृदय संबंधी समस्याओं में योगदान कर सकती है।
  • पाचन संबंधी समस्याएं: कुछ खनिज पाचन एंजाइमों के उत्पादन में सहायता करते हैं। इनकी कमी पाचन को प्रभावित कर सकती है।

ये निष्कर्ष स्पष्ट रूप से दर्शाते हैं कि आरओ पानी का दीर्घकालिक सेवन हमारे शरीर के आंतरिक संतुलन को बाधित कर सकता है और गंभीर स्वास्थ्य परिणाम दे सकता है।

कानूनी परिदृश्य और नीतिगत चुनौतियां

यह मुद्दा केवल स्वास्थ्य संबंधी नहीं है, बल्कि इसमें कानूनी और नियामक पहलू भी शामिल हैं। वर्ष 2022 में, सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) के एक आदेश पर रोक लगा दी थी। एनजीटी ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) को सभी आरओ निर्माताओं को यह निर्देश जारी करने का निर्देश दिया था कि वे उन वाटर प्यूरिफायर्स पर प्रतिबंध लगाएं जहाँ पानी में कुल घुले हुए ठोस पदार्थ (TDS) का स्तर 500 मिलीग्राम प्रति लीटर से कम है।

एनजीटी का यह आदेश पर्यावरणीय और स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं पर आधारित था। उनका तर्क था कि यदि पानी का टीडीएस स्तर पहले से ही स्वीकार्य सीमा (500 मिलीग्राम/लीटर से कम) में है, तो आरओ का उपयोग अनावश्यक है और इससे न केवल पानी की बर्बादी होती है (आरओ प्रक्रिया में लगभग 2-3 लीटर पानी बर्बाद होता है प्रति लीटर शुद्ध पानी के उत्पादन में) बल्कि आवश्यक खनिजों को हटाने से स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस आदेश पर रोक लगाने से यह मुद्दा अधर में लटक गया है, और उपभोक्ताओं को अभी भी इस संबंध में स्पष्ट दिशानिर्देशों का इंतजार है। यह स्थिति उपभोक्ताओं के लिए भ्रम पैदा करती है और उन्हें अपने पेयजल के बारे में सूचित निर्णय लेने में बाधा डालती है।

निवासियों के लिए सुझाव और उपाय: क्या करें?

इस जानकारी के आलोक में, हमारे शहर के निवासियों के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वे अपने पेयजल के संबंध में सूचित निर्णय लें। यहाँ कुछ सुझाव दिए गए हैं:

  1. अपने पानी की जांच कराएं: सबसे पहला कदम अपने घर के पानी की टीडीएस स्तर और अन्य अशुद्धियों की जांच कराना है। स्थानीय नगरपालिका जल विभाग या किसी मान्यता प्राप्त प्रयोगशाला से संपर्क करें। यह आपको यह जानने में मदद करेगा कि आपको वास्तव में किस प्रकार के शोधन की आवश्यकता है।
  2. टीडीएस मीटर का उपयोग करें: एक पोर्टेबल टीडीएस मीटर खरीदना एक अच्छा निवेश हो सकता है। यह आपको अपने नल के पानी और आरओ से फिल्टर किए गए पानी दोनों के टीडीएस स्तर की नियमित रूप से जांच करने में मदद करेगा। याद रखें, विशेषज्ञों के अनुसार आरओ के पानी का टीडीएस 200-250 मिलीग्राम/लीटर के बीच होना चाहिए।
  3. आरओ का उपयोग तभी करें जब आवश्यक हो: यदि आपके पानी का टीडीएस स्तर 500 मिलीग्राम/लीटर से अधिक है या इसमें हानिकारक भारी धातुएं और रासायनिक संदूषक हैं, तो आरओ आवश्यक हो सकता है। लेकिन यदि आपका पानी अपेक्षाकृत कम टीडीएस वाला और सुरक्षित है (केवल बैक्टीरिया की समस्या है), तो आरओ की शायद आवश्यकता नहीं है।
  4. वैकल्पिक शुद्धिकरण विधि पर विचार करें:
    • उबालना: यह बैक्टीरिया और वायरस को मारने का सबसे सरल और सस्ता तरीका है और यह खनिजों को नहीं हटाता।
    • यूवी (अल्ट्रावायलेट) प्यूरीफायर: ये पानी में से बैक्टीरिया और वायरस को मारते हैं लेकिन घुले हुए खनिजों या टीडीएस को नहीं हटाते। यह उन क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है जहाँ खनिजों का स्तर ठीक है लेकिन सूक्ष्मजीवों का खतरा है।
    • अल्ट्राफिल्ट्रेशन (UF) प्यूरीफायर: ये छोटे कणों, बैक्टीरिया और कुछ वायरस को हटाते हैं लेकिन आरओ की तरह छोटे घुले हुए ठोस पदार्थों और खनिजों को नहीं हटाते।
    • कार्बन फिल्टर: ये क्लोरीन, गंध और स्वाद को हटाते हैं, लेकिन बैक्टीरिया, वायरस या टीडीएस को प्रभावी ढंग से नहीं हटाते। इन्हें यूवी या यूएफ के साथ जोड़ा जा सकता है।
  5. यदि आरओ का उपयोग कर रहे हैं:
    • मिनरल री-इन्हांसर/एल्केलाइन फिल्टर का उपयोग करें: कई आरओ सिस्टम अब मिनरल री-इन्हांसर नामक अतिरिक्त कारतूसों (cartridges) के साथ आते हैं जो शुद्ध पानी में आवश्यक खनिजों को वापस जोड़ते हैं। सुनिश्चित करें कि आपका आरओ सिस्टम इस सुविधा से लैस हो या आप इसे अलग से लगवाएं।
    • पानी को ब्लेंड करें: यदि आपके आरओ से निकलने वाले पानी का टीडीएस बहुत कम है (उदाहरण के लिए, 50-100 मिलीग्राम/लीटर), और आपके नल का पानी सुरक्षित है (जांचा हुआ), तो आप थोड़ी मात्रा में नल के पानी को आरओ पानी के साथ मिलाकर टीडीएस स्तर को बढ़ा सकते हैं। हालांकि, इसमें सावधानी बरतें और केवल तभी करें जब आपको अपने नल के पानी की गुणवत्ता पर पूरा भरोसा हो।
  6. आहार से खनिजों की पूर्ति: यदि आप आरओ पानी का सेवन कर रहे हैं और आपको खनिजों की कमी का डर है, तो अपने आहार में कैल्शियम और मैग्नीशियम से भरपूर खाद्य पदार्थ जैसे दूध, दही, पनीर, हरी पत्तेदार सब्जियां, नट्स, बीज और फलियां शामिल करें। हालांकि, पानी से मिलने वाले खनिजों की जगह पूरी तरह से नहीं ली जा सकती।
  7. नियमित स्वास्थ्य जांच: यदि आप लंबे समय से आरओ पानी पी रहे हैं, तो अपने डॉक्टर से परामर्श करें और अपने खनिज स्तरों की जांच करवाएं। किसी भी कमी का पता चलने पर डॉक्टर की सलाह पर सप्लीमेंट्स ले सकते हैं।
  8. जागरूकता फैलाएं: अपने पड़ोसियों, दोस्तों और परिवार के सदस्यों के साथ इस जानकारी को साझा करें। सामुदायिक स्तर पर जागरूकता बढ़ाने से सभी को सूचित निर्णय लेने में मदद मिलेगी।

प्राधिकरण/ नगरपालिका और स्थानीय प्रशासन की भूमिका

स्थानीय प्रशासन और नगरपालिका जल विभाग की भी इस विषय में महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्हें नियमित रूप से सार्वजनिक जल आपूर्ति की गुणवत्ता की विस्तृत रिपोर्ट जारी करनी चाहिए, जिसमें टीडीएस स्तर, रासायनिक अशुद्धियाँ और सूक्ष्मजीवों की उपस्थिति शामिल हो। इसके अलावा, उन्हें विभिन्न जल शोधन विधियों के पेशेवरों और विपक्षों के बारे में सार्वजनिक जागरूकता अभियान चलाने चाहिए, ताकि नागरिक अपने लिए सबसे उपयुक्त प्रणाली का चयन कर सकें। यह सुनिश्चित करना उनकी जिम्मेदारी है कि स्वच्छ जल के साथ-साथ स्वस्थ जल भी नागरिकों को उपलब्ध हो।

सूचित विकल्प चुनें, स्वस्थ रहें

आरओ सिस्टम निस्संदेह कई हानिकारक प्रदूषकों से हमें बचाते हैं, लेकिन यह अब स्पष्ट है कि उनकी दक्षता की एक कीमत है – आवश्यक खनिजों का नुकसान। हमारे शहर के निवासियों के रूप में, यह हम पर निर्भर करता है कि हम केवल “शुद्ध” पानी के बजाय “स्वस्थ” पानी का चयन करें। अंधाधुंध आरओ के उपयोग से बचें और अपने पानी की वास्तविक आवश्यकता और गुणवत्ता के आधार पर निर्णय लें। पानी हमारी जीवनरेखा है, और इसे शुद्ध करने का हमारा प्रयास हमारे स्वास्थ्य की कीमत पर नहीं होना चाहिए। हमें एक ऐसा संतुलन खोजना होगा जहाँ पानी सुरक्षित भी हो और हमारे शरीर के लिए आवश्यक पोषक तत्वों से समृद्ध भी। यह एक ऐसा कदम है जो न केवल व्यक्तिगत स्वास्थ्य के लिए बल्कि हमारे पूरे समुदाय के bienestar के लिए आवश्यक है।

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