पुन्यतिथि विशेष : विद्या सिन्हा- एक अदाकारा की अनकही कहानी

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भारतीय फिल्म उद्योग की दुनिया में कई अदाकाराओं ने अपनी पहचान बनाई है, लेकिन विद्या सिन्हा का नाम उन खास शख्सियतों में से एक है, जिन्होंने 70 के दशक में रेखा, परवीन बॉबी, जीनत अमान के बीच विद्या सिन्हा ने अपने अभिनय, अपने मासूमियत भरे चेहरे के जरिए दर्शकों के दिलों में एक खास जगह बनाई। । विद्या ने शानदार अदाकारी से छोटे पर्दे से लेकर बड़े पर्दे तक अपनी अमिट छाप छोड़ी थीं। आज यानी 15 अगस्त को विद्या सिन्हा की पुण्यतिथि है। तो आइये जानते हैं विद्या सिन्हा के जिंदगी से जुड़े अनसुने किस्सों के बारे में

शुरुआती जीवन और करियर की शुरुआत

विद्या सिन्हा का जन्म मुंबई में 15 नवंबर 1947 को हुआ था। एक साधारण परिवार से ताल्लुक रखने के बावजूद, उन्होंने अपने जीवन में कुछ विशेष हासिल किया। 18 वर्ष की आयु में मॉडलिंग में कदम रखा, और “मिस बॉम्बे” का खिताब विजय प्राप्त किया। यह सफलता उन्हें फिल्म उद्योग में प्रवेश करने के लिए प्रेरित करती है, और 1974 में फिल्म “राजा काका” में अपने अभिनय की शुरुआत करती हैं।

हालांकि, विद्या को असली पहचान मिली फिल्म “रजनीगंधा” (1974) से, जिसका निर्देशन बासु चटर्जी ने किया था। इस फिल्म में उनका नज़रअंदाज करने वाला काम न केवल दर्शकों को भाया, बल्कि इसके बाद विद्या ने “छोटी सी बात” (1975) और “पति, पत्नी और वो” (1978) जैसी हिट फिल्मों में भी अभिनय किया। उनके फिल्मी करियर में यह महत्वपूर्ण मील पत्थर बने।

निजी जीवन की चुनौतियाँ

विद्या का निजी जीवन भी उतार-चढ़ाव से मुक्त नहीं रहा। 1968 में, उन्होंने वेंकटेश्वरन अय्यर से प्रेम विवाह किया। लेकिन विवाह के लगभग तीन दशक बाद, विद्या ने अपने पति की बीमारी के चलते 1996 में उन्हें खो दिया। यह विद्या के लिए एक कठिन समय था, और उन्होंने अपनी गोद ली हुई बेटी के साथ ऑस्ट्रेलिया जाने का निर्णय लिया।

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ऑस्ट्रेलिया में विद्या ने एक भारतीय मूल के डॉक्टर से विवाह किया, लेकिन यह संबंध भी सुखद नहीं रहा। विद्या ने अपने दूसरे पति पर शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना का आरोप लगाया, और अंततः 2009 में उनका तलाक हो गया। इन सभी कठिनाईयों के बावजूद, विद्या ने खुद को ऊँचा रखने की कोशिश की, और यह उनके करियर में फिर से वापसी का कारण बना।

फिल्म और टेलीविजन में वापसी

विद्या सिन्हा ने अपने करियर में कई उतार-चढ़ाव देखे, लेकिन उन्होंने हर परिस्थिति को सहन किया। 2000 के दशक की शुरुआत में, उन्होंने टेलीविजन की दुनिया में कदम रखा और शो “बहू रानी”, “काव्यांजलि”, और “कुबूल है” में अपने अभिनय से दर्शकों का दिल जीता। यह दिखाता है कि विद्या का कला के प्रति प्यार कभी खत्म नहीं हुआ।

उनकी आखिरी फिल्म “बॉडीगार्ड” (2011) थी, जिसमें उन्होंने सलमान खान के साथ काम किया। विद्या का यह सफर सिर्फ फिल्मों तक सीमित नहीं रहा; वे टेलीविजन के माध्यम से भी दर्शकों के बीच बनी रहीं।

अंतिम दिनों के उतार-चढ़ाव और विरासत

17 वर्ष की उम्र से करियर की शुरुआत करने वाली विद्या सिन्हा को अपने काम के लिए हमेशा याद रखा जाएगा। वे उस समय के दर्शकों की प्रिय रहीं, जब वे अपने मासूमियत भरे चेहरे और दिलकश अदाओं से सबको लुभा लेती थीं। 15 अगस्त 2019 को, जब देश स्वतंत्रता दिवस की खुशी में डूबा हुआ था, विद्या सिन्हा का निधन हुआ। उनका निधन केवल एक व्यक्ति की नहीं, बल्कि एक अदाकारा की यादों का भी अंत था।

विद्या सिन्हा फिल्म उद्योग की वह चरित्र हैं जिन्होंने अपने जीवन में कई उतार-चढ़ाव देखे, लेकिन अंत में अपने काम और अभिनय के माध्यम से उन्होंने हमेशा दर्शकों को प्रभावित किया। उनका योगदान आज भी टेलीविजन शो और फिल्मों में जीवित है, और उनकी यादें कला के प्रति उनके प्रेम को दर्शाती हैं।

उनका मौन लेकिन मजबूत चेहरा, जो न केवल सिनेमाई दुनिया में, बल्कि हजारों दिलों में बसा रहेगा, हमें यह सिखाता है कि जीवन में चाहे कितनी भी कठिनाइयाँ हों, कला और प्रेम उस सब से कहीं बड़ा होता है। विद्या सिन्हा को एनसीआर खबर पेज 3 हमेशा सम्मान और श्रद्धा के साथ याद करेगा, और उन्हें नमन करेगा।

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