बिहार‑यूपी के जाट वोट‑बैंक में एक प्रमुख आवाज़, महिला सशक्तिकरण की प्रतीक, और पार्टी के निष्ठावान राजदूत के रूप में उनका उदय
गाज़ियाबाद की मोदीनगर विधानसभा क्षेत्र से बीजेपी की विधायक डॉ. मंजू शिवाच, जो पिछले 2 बार से लगातार इस सीट पर विजयी रही हैं, अब एक ऐसा नाम बन गई हैं जिसमें चिकित्सा एवं राजनीति दोनों ही क्षेत्रों में भरोसे का मिश्रण है। एक अनुभवी स्त्री रोग विशेषज्ञ के रूप में 20‑साल से अधिक समय तक मरीज़ों का इलाज करने के बाद, उन्होंने 2017 के विधानसभा चुनाव में पहली बार क़दम रख कर जनता के लिए एक नई भूमिका अपनाई – विधायक बनना।
चिकित्सक‑पहचान से मिली विश्वसनीयता
डॉ. शिवाच का पेशेवर सफ़र एक समर्पित गायनेकोलॉजिस्ट के रूप में शुरू हुआ, जिसमें उन्होंने केवल रोगियों के शारीरिक उपचार नहीं, बल्कि उनके सामाजिक व मानसिक सशक्तिकरण पर भी काम किया। इस पृष्ठभूमि ने उन्हें विशेष रूप से महिलाओं के बीच “डॉक्टर बहन” का दर्जा दिलाया।
संतुलित सेवा‑भाव: अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस आदि महत्वपूर्ण अवसरों पर उन्होंने महिलाओं के अधिकारों व स्वास्थ्य पर कई प्रभावशाली भाषण दिए, जैसे‑सुभारती विश्वविद्यालय में दिया गया प्रेरक भाषण।
सर्जरी एवं आपातकालीन मदद: आकस्मिक गर्भावस्था, प्रजनन‑स्वास्थ्य समस्याओं में उनका हाथ हमेशा मरीजों के लिए उपलब्ध रहा, जिससे ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में उनका भरोसा निरन्तर बढ़ता गया।
इन कारणों से मोदीनगर की महिला मतदाता वर्ग में उनकी छवि केवल एक विधायक नहीं, बल्कि “स्वास्थ्य की रक्षक” के रूप में प्रचलित है।
जनसंपर्क और कर्तव्यनिष्ठा
डॉ. शिवाच का चुनावी मैदान में प्रवेश केवल एक नया चेहरा नहीं, बल्कि एक सक्रिय एवं उत्तरदायी नेता के रूप में देखा जाता है।
स्थानीय इवेंट्स में निरन्तर उपस्थिति: सरदार पटेल@150 यूनिटी मार्च, ब्लॉक‑लेवल स्पोर्ट्स मीट, वेटलिफ्टिंग वॉरियर्स हॉस्टल का उद्घाटन आदि में उनका नेतृत्व युवा वर्ग को प्रेरित करता रहा है।
कोविड‑19 के दौरान त्वरित प्रतिक्रिया: महामारी के गंभीर दौर में उन्होंने मोबाइल चिकित्सा कैंप, टेली‑कंसल्टेशन और स्थानीय स्वास्थ्य केन्द्रों को आवश्यक उपकरणों से सुसज्जित करने में अहम भूमिका निभाई।
लोगों की “पीपुल्स एमएलए” छवि: मोदीनगर की प्रतिदिन की समस्याओं—सड़क, पानी, बिजली, स्वास्थ्य‑सेवा—पर उनका त्वरित समाधान स्थानीय media में लगातार कवर होता रहा, जिससे उनके ‘जनसेवा‑परक’ स्वरूप को मजबूती मिली।
चुनावी सफलता और महिला प्रतिनिधित्व
2017 में पहली बार चुनावी मैदान में उतरते ही डॉ. शिवाच ने इस सीट को जीता, जबकि 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव में 13 महिला उम्मीदवारों में से केवल वह जीतीं।
भारी प्रतिद्वंद्वी को हरा: उन्होंने आरएलडी के सुदेश शर्मा जैसे प्रमुख प्रतिद्वंद्वी को हराकर अपने क्षेत्र में मजबूत पकड़ साबित की।
जाट वोट‑बैंक का समर्थन: देहरादून के एक छोटे पर राजनीतिक वंशज परिवार से आए होने के बावजूद, जाट समुदाय में उनका ‘जैविक’ समर्थन उन्हें पश्चिमी यूपी की 17 जाट विधायकों में से एक बनाता है।
इन जीतों ने न केवल उनके व्यक्तिगत राजनीतिक वजन को बढ़ाया, बल्कि महिलाओं की भागीदारी को भी सशक्त किया।
“डॉ. मंजू शिवाच का केस इस बात का प्रमाण है कि पेशेवर विश्वसनीयता (डॉक्टर) और राजनीति का मेल आज के भारतीय राजनैतिक परिदृश्य में जीत की कुंजी बन रहा है। उनकी निरन्तर सामाजिक‑सेवा, विशेषकर महिलाओं के स्वास्थ्य एवं सशक्तिकरण के क्षेत्र में, उन्हें न केवल एक विधायक बल्कि समुदाय की ‘भरोसे की इमारत’ बनाता है। इस प्रकार की ‘डॉक्टर-राजनीतिज्ञ’ प्रोफ़ाइल न केवल बीजेपी के लिए वोट‑बैंक को मजबूत करती है, बल्कि महिलाओं के प्रतिनिधित्व को भी नई दिशा देती है।”
बीजेपी से जुड़ाव और विचारधारा
डॉ. शिवाच को पार्टी के भीतर “वफ़ादार नेता” के रूप में देखा जाता है। सपष्ट बयानबाजी: अपर्णा यादव के बीजेपी में शामिल होने पर उन्होंने “यादव परिवार की बहू बीजेपी की तारीफ़ कर रही है, यह बड़ी बात है” जैसी टिप्पणी करके सोशल मीडिया पर धूम मचा दी।
पारिवारिक मूल्यों का समर्थन: परिवारवाद, सामाजिक सुरक्षा तथा राष्ट्रीय एकता को लेकर उनके वक्तव्य अक्सर पार्टी के एंगेजमेंट एजेंडा के साथ संगत रहे हैं। इन बयानों ने उन्हें पार्टी के ‘आगे‑पीछे’ दोनों मोर्चों पर एक भरोसेमंद चेहरा बना दिया।
डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म पर सक्रियता
डॉ. शिवाच का फ़ेसबुक पेज 39,000+ लाइक्स के साथ, तथा ट्विटर (हैंडल @manjushiwach) पर निरन्तर अपडेट उनके मतदाता वर्ग के साथ सीधे संवाद स्थापित करने का प्रमुख साधन बन गया है।
ऑनलाइन ‘मन की बात’ सत्र: उन्होंने नियमित रूप से जनता से सवाल‑जवाब सत्र आयोजित किए, जिससे नीतिगत मुद्दों पर उनकी स्पष्ट स्थिति ज्ञात हुई।
आध्यात्मिक व राष्ट्रीय मुद्दे: अयोध्या राम मंदिर दर्शन, मोदी सरकार की प्रमुख पहलों पर उनके वीडियो, तथा युवा खेल‑परक कार्यक्रमों में भागीदारी ने उन्हें एक ‘प्रगतिशील’ एवं ‘राष्ट्रवादी’ छवि प्रदान की।
भविष्य में, यदि डॉ. शिवाच अपने चिकित्सीय कार्य और विधायी दायित्व को संतुलित करके अधिक बड़े स्तर पर स्वास्थ्य‑नीति पर प्रभाव डालती हैं, तो वह यूपी के स्वास्थ्य‑राजनीति के एक प्रमुख शख्सियत बन सकती हैं।
डॉ. मंजू शिवाच ने दो दशकों की चिकित्सीय सेवा को राजनीति के मंच पर सफलतापूर्वक परिवर्तित कर दिया है। उनके पास न केवल एक व्यापक जनसमर्थन है, बल्कि एक स्पष्ट विचारधारा, सक्रिय सामाजिक सहभागिता और डिजिटल कनेक्शन है, जो उन्हें 21वीं सदी के भारतीय राजनीतिज्ञों में एक विशेष स्थान देता है। मोदीनगर के लोगों के लिये वह अब सिर्फ डॉक्टर नहीं, बल्कि “सेवा‑सेवा” के दोहरा प्रतीक बन गई हैं—एक वह जो रोगियों को चंगा करती है, और वह जो अपने क्षेत्र को सशक्त बनाती है।
