आज का दिन अयोध्या के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में दर्ज हो गया है. सदियों से प्रतीक्षित वह क्षण आखिरकार आ गया है, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अभिजीत मुहूर्त में श्री राम जन्मभूमि मंदिर के शिखर पर भव्य ‘धर्मध्वज’ फहरा दिया। यह केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि 500 वर्षों के संघर्ष, आस्था और धैर्य की परिणति है. इस ऐतिहासिक आयोजन ने न केवल पूरे देश का ध्यान खींचा है, बल्कि अयोध्या को वैश्विक मानचित्र पर एक नए आध्यात्मिक केंद्र के रूप में स्थापित कर दिया है।
कार्यक्रम के दौरान, प्रधानमंत्री मोदी के साथ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत समेत कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। जैसे ही भगवा ध्वज 42 फुट ऊंचे ध्वजदंड पर स्थापित हुआ, पूरा वातावरण जय श्री राम के उद्घोषों से गूंज उठा. आज हर तरफ, चाहे वह मुख्यधारा की मीडिया हो या सोशल मीडिया, केवल राम मंदिर के इस भव्य आयोजन और धर्मध्वज की महिमा पर चर्चा हो रही है।
धर्मध्वज: जो इसे बनाता है सबसे अनोखा
इस ऐतिहासिक मौके पर जिस ध्वज को मंदिर के शिखर पर स्थापित किया गया है, वह अपनी इंजीनियरिंग, डिजाइन और प्रतीकात्मक अर्थों के कारण अत्यंत खास है। यह सामान्य ध्वज नहीं है; इसे विशेष रूप से श्री राम मंदिर के लिए ‘धर्मध्वज’ के रूप में डिज़ाइन किया गया है, जो न केवल आस्था का प्रतीक है, बल्कि तकनीक और दृढ़ता का भी प्रमाण है।
आकार और सामग्री की बेजोड़ मिसाल
धर्मध्वज हल्के, लेकिन बेहद मज़बूत पैराशूट फ़ैब्रिक से बनाया गया है। मंदिर के शिखर पर, जहां हवा का दबाव बहुत अधिक होता है, वहां इसकी मजबूती सुनिश्चित करने के लिए विशेष ध्यान दिया गया है।
धर्मध्वज की विशिष्ट तकनीकी विशेषताएं:
- पैराशूट फैब्रिक की शक्ति: ध्वज एविएशन-ग्रेड पैराशूट नायलॉन और रेशम के धागे की तीन परतों से मिलकर बना है। इसकी इंजीनियरिंग इतनी उन्नत है कि यह 200 किलोमीटर प्रति घंटे तक की तूफानी हवाओं को आसानी से झेल सकता है. यह सुनिश्चित करता है कि तेज़ हवाओं, भारी बारिश और कड़ी धूप के बावजूद ध्वज वर्षों तक अपनी भव्यता बनाए रखेगा।
- विशाल आयाम: राम मंदिर के लिए विशेष रूप से डिज़ाइन किया गया यह भगवा झंडा 22 फुट लंबा और 11 फुट चौड़ा है. इसका तिकोना आकार इसकी प्राचीन धार्मिक महत्ता को और बढ़ाता है।
- 360 डिग्री का नवाचार: 42 फुट ऊंचे ध्वजदंड में एक विशेष 360 डिग्री घूमने वाला बॉल-बेयरिंग सिस्टम लगाया गया है. यह सुविधा सुनिश्चित करती है कि हवा की दिशा चाहे जो भी हो, ध्वज कभी उलझेगा नहीं और हमेशा अपनी पूरी भव्यता के साथ फहरता रहेगा।
- हस्तनिर्मित शिल्प कौशल: इस ध्वज को सात कुशल कारीगरों ने मिलकर 25 दिनों की गहन मेहनत के बाद हाथ से तैयार किया है।
रंग और प्रतीक: त्याग, समर्पण और दिव्यता
राम मंदिर के धर्मध्वज का भगवा रंग और उस पर अंकित प्रतीक गहरे धार्मिक और आध्यात्मिक अर्थों को समाहित करते हैं. श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के जनरल सेक्रेटरी चंपत राय ने इस पर प्रकाश डालते हुए कहा था कि, “यह रंग अग्नि को दर्शाता है, और उगता हुआ सूरज—यह त्याग और समर्पण का प्रतीक है। यह वह दिव्य शक्ति है, जो हमें अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाती है।”
धर्मध्वज पर तीन मुख्य निशान अंकित हैं—ॐ, सूर्य, और कोविदार वृक्ष, जो रामायण की जड़ों से गहरे जुड़े हैं और धर्म, साहस, और प्रकृति के संरक्षण का संदेश देते हैं।
1. सूर्य का अर्थ: सूर्यवंशी परंपरा का गौरव
ध्वज पर बना चमकता हुआ सूर्य भगवान राम की काबिलियत और बहादुरी का प्रतीक माना जाता है। यह चिह्न सीधे तौर पर भगवान राम के सूर्यवंशी वंश को दर्शाता है। यह इक्ष्वाकु वंश की शाही विरासत का प्रतीक है, जो हजारों वर्षों से चली आ रही अयोध्या की क्षत्रिय परंपरा की निरंतरता को स्थापित करता है. सूर्य का तेज और निरंतरता यह संदेश देती है कि धर्म का प्रकाश शाश्वत है।
2. ॐ का अर्थ: ब्रह्मांड की मूल ध्वनि
हिंदू धर्म का मूल मंत्र, ‘ॐ’, ब्रह्मांड की मूल ऊर्जा और सृष्टि का सार दिखाता है। यह पवित्र ध्वनि आध्यात्मिक जागृति, शांति और दिव्यता का प्रतीक है. ध्वज पर ‘ॐ’ की उपस्थिति यह दर्शाती है कि राम मंदिर केवल एक इमारत नहीं, बल्कि समस्त ब्रह्मांडीय ऊर्जा और आध्यात्मिक केंद्र का प्रतीक है।
3. कोविदार वृक्ष का अर्थ: अयोध्या की प्राचीन शाही पहचान
यह निशान ध्वज को सबसे विशिष्ट बनाता है। कोविदार पेड़ का यह अनोखा और कम ज्ञात निशान वाल्मीकि रामायण के अयोध्या कांड से लिया गया है. रामायण में, कोविदार पेड़ को अयोध्या की पुरानी शाही परंपरा का निशान माना जाता था।
प्राचीन काल में, कोविदार पेड़ को राजधानी की सीमाओं पर लगाया जाता था, और यह अयोध्या की संप्रभुता और सीमाओं का प्रतीक था. इस चिह्न को ध्वज पर अंकित करने का अर्थ है कि अयोध्या, अपनी खोई हुई महिमा को पुनः प्राप्त कर रही है और अपनी प्राचीन शाही पहचान को विश्व के सामने स्थापित कर रही है। यह चिह्न प्रकृति और संस्कृति के आपसी संबंध को भी दर्शाता है।
अयोध्या के निवासियों के लिए महत्व
अयोध्या के निवासियों के लिए, धर्मध्वज का फहरना एक नए युग की शुरुआत है। यह केवल एक मंदिर का उद्घाटन नहीं, बल्कि अयोध्या की आध्यात्मिक और आर्थिक पुनर्जागरण का प्रतीक है। यह विशाल, मजबूत और प्रतीकों से भरा ध्वज अब दूर-दूर से आने वाले श्रद्धालुओं को अयोध्या की महिमा और भगवान राम के आदर्शों का स्मरण कराता रहेगा।
जैसे-जैसे यह धर्मध्वज राम मंदिर के शिखर पर गर्व से फहर रहा है, यह निश्चित है कि आज का दिन इतिहास के पन्नों में केवल एक घटना के रूप में नहीं, बल्कि एक युग के बदलाव के प्रतीक के रूप में याद किया जाएगा—वह बदलाव, जिसके लिए पांच सदियों तक प्रतीक्षा की गई। यह ध्वज, त्याग, शक्ति, और सनातन धर्म के शाश्वत मूल्यों का प्रतीक बनकर, अयोध्या के आसमान में अनंत काल तक फहरता रहेगा।

