रुपिका भटनागर । 42 साल पहले, 1982 में रिलीज हुई फिल्म “नदिया के पार” ने भारतीय सिनेमा के इतिहास में एक खास स्थान बना लिया था। इस फिल्म ने केवल अपनी सुंदर प्रेम कहानी से दर्शकों का दिल नहीं जीता, बल्कि इसके गीत भी आज तक लोगों की जुबां पर चढ़े हुए हैं। गुंजा और चंदन की प्रेम कहानी ने एक नया मानक स्थापित किया था, जिसमें साधना सिंह ने गुंजा का किरदार निभाया। आज भी फैंस उन्हें प्यार से गुंजा कहकर बुलाते हैं।
साधना सिंह का करियर और ‘गुंजा’ का जादू
साधना सिंह का करियर एक दिलचस्प मोड़ पर शुरू हुआ। एक शौकिया गायक के रूप में उनके परिवार में उनकी बहन सुरिंदर कौर ने नृत्य की शिक्षा ली थी। सुरिंदर की सफलता ने साधना को भी प्रेरित किया, और जब राजश्री प्रोडक्शन्स ने सुरिंदर को एक फिल्म “पायल की झनकार” के लिए सलेक्ट किया, तो साधना भी वहां गईं। यह वह क्षण था, जब गोविंद मुनीष ने साधना को देखा और गुंजा का पात्र उनके लिए सही लगा।
अंदर से एक साधारण लड़की, साधना को उस समय नहीं पता था कि उनकी ज़िंदगी एक फिल्म की शूटिंग के साथ पूरी तरह से बदलने वाली है। मुनीष जी के प्रस्ताव पर साधना ने शुरू में मना कर दिया, लेकिन बहन की सलाह ने उन्हें मजबूर किया कि वह इस मौके को गंवाएं नहीं।
‘नदिया के पार’ की अपार सफलता
“नदिया के पार” ने भारतीय सिनेमा की कहानी कहने का एक अनूठा तरीका चुना। ग्रामीण पृष्ठभूमि पर आधारित इस फिल्म ने अपनी सादगी और वास्तविकता के साथ दर्शकों के दिलों को छुआ। साधना सिंह ने गुंजा का किरदार निभाकर न केवल खुद को, बल्कि उस युग की महिलाओं को भी प्रेरित किया। गुंजा के बिना दर्शकों के मन में यह कहानी अधूरी लगती थी।
फिल्म का बजट मात्र 18 लाख रुपये था, लेकिन इसने करोड़ों का कारोबार किया। यह फिल्म दर्शकों के दिलों में अपने संवाद, गीत, और साधारण प्रेम कहानी के कारण ऊंची जगह पर कायम रही। गुंजा की लोकप्रियता इतनी बढ़ गई कि लोग अपनी बच्चियों का नाम गुंजा रखकर सम्मानित करने लगे।
साधना का व्यक्तिगत जीवन
साधना सिंह ने “नदिया के पार” के बाद कई अन्य फिल्मों में काम किया, जैसे “ससुराल”, “पिया मिलन”, “सुर संग्राम”, “परिवार”, और “आग आंधी और तूफान”। हालांकि, उन्हें गुंजा जैसी प्रसिद्धि नहीं मिल पाई। उनके व्यक्तिगत जीवन में, उन्होंने प्रोड्यूसर राजकुमार शाहबादी से शादी की है और उनके दो बच्चे हैं, एक बेटी शीना और एक बेटा।
कलाकार का बदलता चेहरा
साधना सिंह ने 40 साल बाद आज भी अपने फैंस को प्रभावित किया है, लेकिन उनके चेहरे में एक परिवर्तन आया है जो मानव जीवन का अनिवार्य हिस्सा है। हाल की तस्वीरों में वह एक परिपक्व और हर परिस्थिति को स्वीकार करती हुई दिखती हैं। उनका नया लुक जैसे फिल्मों में गुंजा के रोल की सादगी व मासूमियत की कहानी को बयां करता है।
फिल्म का पुनः अनुभव
“नदिया के पार” की कहानी और संवाद आज भी लोगों की यादों में ताजगी बनाए रखते हैं। फिल्म के निर्माता सूरज बड़जात्या के पिता ताराचंद बड़जात्या थे, जो दर्शकों को एक यादगार अनुभव दिया। इसके कई साल बाद, सूरज बड़जात्या ने फिल्म का रीमेक “हम आपके हैं कौन” बनाया, जिसमें सलमान खान और माधुरी दीक्षित ने मुख्य भूमिका निभाई। यह फिल्म भी आज तक की सफलतम फिल्मों में से एक मानी जाती है।
“नदिया के पार” न केवल एक फिल्म है; यह भारतीय सिनेमा की पहचान है। साधना सिंह की गुंजा का किरदार आज भी दर्शकों के दिलों में बसा हुआ है। साधना का यह सफर, उनके संघर्षों और सफलताओं की कहानी, बताता है कि फिल्मों का जादू कभी खत्म नहीं होता। चाहे समय बीते, गुंजा का नाम हमेशा सिनेमा प्रेमियों के दिलों में जीवित रहेगा।