5 मई, 1956 को दिल्ली में जन्मे गुलशन कुमार दुआ ने अपने जीवन में जो उपलब्धियां हासिल कीं, वे आज भी संगीत प्रेमियों के दिलों में जीवित हैं। 12 अगस्त, 1997 को मुंबई में हुई हत्या के बावजूद, गुलशन कुमार का नाम भारतीय संगीत और सिनेमा के इतिहास में अमर हो गया है। उनकी पुण्यतिथि पर हम एक बार फिर उनकी जीवनी और उपलब्धियों पर नजर डालते हैं।
गुलशन कुमार की पहचान सिर्फ एक निर्माता-निर्देशक के रूप में नहीं है, बल्कि वे भारतीय संगीत उद्योग के एक सशक्त स्तंभ हैं। उन्होंने ‘टी-सीरीज़’ की स्थापना करके उस समय की सशक्त संगीत कंपनियों में से एक बना दिया। उनकी दृष्टि और मेहनत ने भारत में भक्ति संगीत को नई पहचान दी। ‘टी-सीरीज़’ के माध्यम से उन्होंने भारतीय देवी-देवताओं के भजन और गीतों को न सिर्फ जन-जन तक पहुंचाया, बल्कि उन्हें वाणिज्यिक सफलता भी दिलाई।
गुलशन कुमार का जीवन संघर्षों से भरा था, लेकिन उनका समर्पण और मेहनत उन्हें सफलता की सीढ़ियों पर ले गए। देशबंधु कॉलेज, दिल्ली के छात्र रहे गुलशन कुमार ने अपने छोटे से करियर में ही इतने बड़े सपने देखने का साहस किया। वे न केवल एक व्यवसायी थे, बल्कि भक्ति संगीत में अद्वितीय रचनात्मकता लाने वाले व्यक्ति भी थे। उनके द्वारा निर्मित कई भजन आज भी श्रद्धालुओं के जिवन का हिस्सा हैं।
एक ऐसा पहलू जो गुलशन कुमार को औरों से अलग करता है, वह है उनका मानवता के प्रति समर्पण। उनके जीवन के आदर्शों में दान-पुण्य का स्थान बहुत ऊँचा था। उन्होंने माता वैष्णो देवी में एक भंडारे की स्थापना की, जो आज भी तीर्थयात्रियों को नि:शुल्क भोजन प्रदान करता है। यह उनकी सच्ची मानवता का एक प्रतीक है, जो उन्हें संगीत की दुनिया में और भी ऊँचाई पर ले गई।
गुलशन कुमार की पुत्री तुलसी कुमार और पुत्र भूषण कुमार भी अपनी खुद की पहचान बना चुके हैं। भूषण कुमार, जो अब ‘टी-सीरीज़’ का संचालन कर रहे हैं, ने अपने पिता की विरासत को आगे बढ़ाने का कार्य किया है। तुलसी का संगीत क्षेत्र में योगदान भी महत्वपूर्ण है। यह परिवार वास्तव में गुलशन कुमार के सपनों को साकार कर रहा है।
गुलशन कुमार की पुण्यतिथि पर हम सबको यह याद रखना चाहिए कि उन्होंने जिस भक्ति संगीत की लहर को शुरू किया, उसने लाखों लोगों के दिलों में श्रद्धा और विश्वास पैदा किया है। उन्होंने संगीत के माध्यम से लोगों को एकजुट किया और भारतीय संस्कृति के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ाई।