सनातन पंचांग अनुसार, श्रावण माह की पूर्णिमा तिथि 8 अगस्त को दोपहर 2:12 बजे शुरू होगी और 9 अगस्त को दोपहर 1:24 बजे तक समाप्त होगी। उदया तिथि के कारण, रक्षाबंधन का त्योहार 9 अगस्त को मनाया जाएगा। पंचांग के अनुसार, इस दिन पूरे समय राखी बांधने का शुभ मुहूर्त रहेगा क्योंकि भद्रा 8 अगस्त को ही समाप्त हो जाएगी, जिससे त्योहार पर भद्रा का साया नहीं पड़ेगा।
रक्षा बंधन शुभ योग
दशकों बाद रक्षा बंधन पर दुर्लभ महासंयोग बन रहा है। यह संयोग साल 1930 समान है। आसान शब्दों में कहें तो दिन, नक्षत्र, पूर्णिमा संयोग, राखी बांधने का समय लगभग समान है।
रक्षा बंधन के दिन सौभाग्य योग का संयोग बन रहा है। सौभाग्य योग का समापन 10 अगस्त को देर रात 02 बजकर 15 मिनट पर होगा। इसके बाद शोभन योग का निर्माण होगा। वहीं, सर्वार्थ सिद्धि योग का संयोग सुबह 05 बजकर 47 मिनट से लेकर दोपहर 02 बजकर 23 मिनट तक है। इसके साथ ही श्रवण नक्षत्र दोपहर 02 बजकर 23 मिनट तक है। जबकि करण, बव और बालव हैं। इन योग में राखी का त्योहार मनाया जाएगा।
राखी बांधने का सही समय
09 अगस्त को राखी बांधने का सही समय सुबह 05 बजकर 21 मिनट से लेकर दोपहर 01 बजकर 24 मिनट तक है। इस समय तक बहनें अपने भाई को राखी बांध सकती हैं।
राखी बांधने की विधि – इस दिन बहनें पूजा की थाली में घी का दीपक जलाकर सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा करें, उन्हें राखी अर्पित करें. इससे अशुभ प्रभाव खत्म हो जाता है. अब भाई को पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठाएं. तिलक करें और दाएं हाथ पर राखी बांधें. मिठाई खिलाकर भाई और बहन दोनों एक दूसरे की उन्नति की कामना करें.
राखी बांधने की शास्त्रीय विधि
* राखी बंधवाने के लिए भाई को हमेशा पूर्व दिशा और बहन को पश्चिम दिशा की ओर मुख करना चाहिए। ऐसा करने से आपकी राखी को देवताओं का भी आशीर्वाद प्राप्त होगा।
* बहन भाई की दाहिने हाथ की कलाई पर राखी बांधे और फिर चंदन व रोली का तिलक लगाएं।
* तिलक लगाने के बाद अक्षत लगाएं और आशीर्वाद के रूप में भाई के ऊपर कुछ अक्षत के छींटें भी दें।
* इसके बाद दीपक से आरती उतारकर बहन और भाई एक-दूसरे को मिठाई खिलाकर मुंह मीठा कराएं।
* भाई वस्त्र, आभूषण, धन या और कुछ उपहार देकर बहन के सुखी जीवन की कामना करें।
* भारतीय परिधान पहन कर पर्व मनाना ज्यादा श्रेयस्कर है।
* बहन को काले रंग की कोई भी वस्तुएं रक्षा पर्व के निमित उपहार ना करे।
* कोई भी नुकीली वस्तु देने से मन भेद बढ़ता है।
वेदिक रक्षा सूत्र-
रक्षासूत्र मात्र एक धागा नहीं बल्कि शुभ भावनाओं व शुभ संकल्पों का पुलिंदा है । यही सूत्र जब वैदिक रीति से बनाया जाता है और भगवन्नाम व भगवद्भाव सहित शुभ संकल्प करके बाँधा जाता है तो इसका सामर्थ्य असीम हो जाता है। प्रतिवर्षश्रावणी-पूर्णिमा को रक्षाबंधन का त्यौहार होता है, इस दिनबहनें अपने भाई को रक्षा-सूत्र बांधती हैं । यह रक्षासूत्र यदि वैदिक रीति से बनाई जाए तो शास्त्रों में भी उसका बड़ा महत्व है ।
कैसे बनायें वैदिक राखी ?
वैदिक राखी बनाने के लिए सबसे पहले एक छोटा-सा ऊनी, सूती या रेशमी पीले कपड़े का टुकड़ा लें।
(१) दूर्वा
(२) अक्षत (साबूत चावल)
(३) केसर या हल्दी
(४) शुद्ध चंदन
(५) सरसों के साबूत दाने
इन पाँच चीजों को मिलाकर कपड़े में बाँधकर सिलाई कर दें । फिर कलावे से जोड़कर राखी का आकार दें । सामर्थ्य हो तो उपरोक्त पाँच वस्तुओं के साथ स्वर्ण भी डाल सकते हैं।
वैदिक राखी का महत्त्व
वैदिक राखी में डाली जानेवाली वस्तुएँ हमारे जीवन को उन्नति की ओर ले जानेवाले संकल्पों को पोषित करती हैं ।
रक्षासूत्र बाँधते समय बोले जाने वाले श्लोक –
येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबलः।
तेन त्वां अभिबध्नामि रक्षे मा चल मा चल।।
ओम यदाबध्नन्दाक्षायणा हिरण्यं, शतानीकाय सुमनस्यमाना:। तन्मSआबध्नामि शतशारदाय, आयुष्मांजरदृष्टिर्यथासम्।।
इस मंत्रोच्चारण व शुभ संकल्प सहित वैदिक राखी बहन अपने भाई को, माँ अपने बेटे को, दादी अपने पोते को बाँध सकती है
सर्वे भवन्तु सुखिनः
नारायण नारायण
राघवेंद्ररविशराय गौड़
ज्योतिर्विद