रूपिका भटनागर । हाल ही में ओटीटी प्लेटफॉर्म जी5 पर रिलीज़ हुई अभिषेक बच्चन की फिल्म ‘कालीधर लापता’ ने दर्शकों और आलोचकों दोनों की प्रशंसा बटोरी है। इस फिल्म ने न केवल अभिषेक की अभिनय क्षमता को फिर से साबित किया है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि एक अद्भुत कहानी कैसे लोगों के दिलों को छू सकती है। फिल्म की रिलीज़ ने सोशल मीडिया पर चर्चा का माहौल बना दिया है, जहां लोग अभिषेक के जादुई अभिनय की तारीफ कर रहे हैं और फिल्म को हर सिने प्रेमी के लिए एक MUST WATCH बता रहे हैं।
‘कालीधर लापता’ का निर्देशन मधुमिता सुंदररामन ने किया है, जिन्होंने इसे 2019 की तमिल फिल्म ‘के.डी.’ का हिंदी रीमेक बनाया है। फिल्म की कहानी कालीधर नामक एक मध्यवर्गीय व्यक्ति के इर्द-गिर्द घूमती है, जिसे अल्जाइमर बीमारी हो गई है। कालीधर के परिवार वाले उसे हरीद्वार में कुंभ मेले में छोड़ देते हैं, जिससे वे उससे छुटकारा पाना चाहते हैं। इस गंभीर विषय को हल्के-फुल्के अंदाज़ में पेश किया गया है, जो दर्शकों को भावनात्मक रूप से जोड़ता है।
फिल्म में कालीधर की भूमिका निभाने वाले अभिषेक बच्चन की अभिनय में गहराई और संवेदनशीलता को देखकर लोग कह रहे हैं, “आपने दिल जीत लिया है, भैया।” एक सोशल मीडिया यूज़र ने लिखा, “अभिषेक बच्चन जादूगर हैं, उनकी परफॉर्मेंस ने हमें रुला दिया।” आलोचकों ने भी इस फिल्म और अभिषेक की एक्टिंग की प्रशंसा की है, जिसमें से एक नामचीन फिल्म समीक्षक ने कहा, “यह अभिषेक की सबसे बेहतरीन परफॉर्मेंस में से एक है।”
फिल्म में कालीधर की मित्रता बल्लू नामक एक अनाथ बच्चे से होती है, जिसका किरदार बाल कलाकार दैविक बाघेला ने निभाया है। बल्लू के साथ कालीधर के रिश्ते को दर्शकों ने बहुत पसंद किया है। इनके बीच की दोस्ती और भावनात्मक संघर्ष फिल्म का केंद्र बिंदु है। दैविक के काम की भी जमकर तारीफ हो रही है, जो अपने टैलेंट से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर देते हैं।
फिल्म में निम्रत कौर ने विशेष भूमिका निभाई है, जो कालीधर की प्रेमिका मीरा के रूप में दिखती हैं। पिछली फिल्म ‘दसवीं’ में भी अभिषेक और निम्रत ने साथ काम किया था, और इस बार भी उनकी केमिस्ट्री ने दर्शकों का दिल जीत लिया है। इसके अलावा, जीशान अय्यूब का किरदार सुबोध कुंभ मेले में खोया-पाया विभाग संभालता है, और उनकी मेहनत कालीधर की खोज में महत्वपूर्ण साबित होती है।
‘कालीधर लापता’ एक ऐसी कहानी है, जो न केवल मनोरंजन करती है बल्कि एक गहरी सोच भी प्रदान करती है कि किस प्रकार समाज ने मानसिक बीमारियों से ग्रस्त लोगों के प्रति अपनी संवेदनशीलता को खो दिया है।
फिल्म की विशेष बातें यह हैं कि यह केवल मनोरंजन नहीं बल्कि एक संदेश भी देती है। मधुमिता सुंदररामन ने इस फिल्म के माध्यम से दर्शकों को यह सोचने पर मजबूर किया है कि हम अपने प्रियजनों के साथ कैसे व्यवहार करते हैं, खासकर जब वे कठिनाई में होते हैं।
अंत में, ‘कालीधर लापता’ एक ऐसा अनुभव है, जो न केवल आपको हंसाता है बल्कि आपको रोते हुए सोचने पर भी मजबूर करता है। यदि आप एक सच्ची भावना और अच्छे अभिनय की तलाश में हैं, तो यह फिल्म आपके लिए एक बेहतरीन विकल्प है।
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