रवि भदौरिया । आप सभी ऑपरेशन सिंदूर, सीजफायर, आसिम मुनीर और ट्रम्प के लंच को लेकर थोड़े असहज होंगे, इसे कुछ इस तरह समझिए। पहला, भारत की रक्षात्मक और पहले आक्रमण न करने की नीति को मोदीजी ने बड़ी सफाई से भविष्य में किसी भी आतंकी हमले को एक्ट ऑफ वार समझकर पहले हमला करने की नई आक्रामक नीति बना ली है। दूसरा, सीजफायर के बहाने से पहले पाकिस्तान को चीन की गोद से निकाल कर अमेरिका की गोद में बिठा दिया जिससे चीन से एमओयू करी कांग्रेस पार्टी और चीन की नाजायज औलादें वामपंथी परेशान हैं। वैसे अमेरिका का इतिहास है आजतक जिस देश ने उसकी गोद में जगह ली है वो बर्बाद ही हुआ है, इराक, अफगानिस्तान इसके ताजा उदाहरण हैं।
तीसरा, अगर ट्रम्प के ताजा बयान को ही यदि सही मान लें तो मोदीजी ने पाकिस्तान की तरह नहीं अपितु और अधिक व्यापार के भरोसे इस सीजफायर को किया है। इसका मतलब अब भारत अमेरिका बिजनेस पार्टनरशिप और मजबूत होगी। चौथा, पाकिस्तान और चीन एकसाथ भारत के लिए बड़ा खतरा बन सकते थे लेकिन अमेरिका की ओर जा रहे पाकिस्तान के बाद चीन का CPEC रुट अब खतरे में आ जायेगा और वो भारत की ओर मित्रता का हाथ बढ़ायेगा। इससे भारत को एक बड़ी सीमा रेखा पर आए दिन होने वाले विवाद से छुटकारा मिलेगा। पांचवा, भविष्य में होने वाले किसी भी भारत-पाक संघर्ष में न तो अमेरिका और न ही चीन पाकिस्तान का साथ देगा। बल्कि अमेरिका यदि ऐसा सोचे भी तो रूस और चीन भारत की ओर खड़े दिखाई देंगे। कुल मिलाकर, पाकिस्तान, कांग्रेस और वामपंथियों के लिए ये सबसे बड़ी और करारी हार है।
लेखक ग्रेटर नोएडा वेस्ट के समाजसेवी और सोशल मीडिया इन्फ्लुन्सेर है