डॉ. अशोक श्रीवास्तव । कई दिनों से घूमते घूमते मन हुआ कि चलो आज तो आराम किया जाये। लेकिन मन में दबी एक बात 11 सितम्बर की सुबह अपने दामाद साहिब यक्ष से युहीं कह दी कि नियाग्रा फाल पिछली बार देखा था। पर उस समय पूर्ण स्वस्थ नहीं था क्योंकि आपकी शादी के बाद कोविड हो गया था। इसीलिए ज्यादा घूमा नहीं गया नियाग्रा के आस पास, लेकिन इस बार मन कर रहा है कि अच्छी तरह से देखा जाए। तो कभी मौका लगे तो सितम्बर के आखरी सप्ताह में घूम लेंगे।
यक्ष जी ने कहा पापा इतनी देर इंतज़ार किस बॉत का आज ही चलते हैं। आप तैयार हो जाइये कार रेंट पर है ही चलिए घूम के आते हैं । मैं आवाक था “हाँ करू की नहीं”, मैंने पुछा पिछली बार गो-ट्रेन से गये थे तो पूरे साड़े तीन घंटे लगे थे फिर चलना भी बहुत पड़ा था स्टेशन से नियाग्रा तक ।
तब यक्ष जी ने कहा नहीं अब की बार आपको केवल दो घन्टे से भी कम समय में पहुंचा देंगे वो भी नियाग्रा झरने से मात्र 5 मिनट दूर। फिर महक बिटिया बोली ऐसे करते हैं की सीधे चलते और रस्ते में नाश्ता ‘वाटरिंग कैन फ्लावर मार्किट’ के ‘वाटर टावर’ रेस्तरां में कर लेंगे।
मन तो हुआ की मना कर दूं, बहाना बना दूं थकान का लेकिन बच्चों और पत्नी जी का जोश देख कर और यह सोच कर इसी बहाने जो मैं लिख रहा हूँ कनाडा में भारतीय भोजनालय के बारे में वो इसीमे नियाग्रा का काम भी हो जायेगा, मैंने हामी भर दी और फिर हम एक घंटे में तैयार हो गये
बिना नाश्ते के आरंभ हुई यात्रा
यात्रा करीब सुबह 10 बजे शुरू हुई नाश्ता किया नहीं था लेकिन उम्मीद थी एक घंटे बाद मिल ही जायेगा । टोरंटो के डाउन टाउन के साथ मिस्सिसगा, बर्लिंगटन, मिल्टन, हैमिलटन, फ्रेडरिक शहरों से शानदार हाईवे पर स्पीड का शतक लगाती हुई कार से 130 किलोमीटर दूर टोरब्रिक के वाइनलैंड (जहाँ पर वाइन की फैक्ट्री ही फैक्ट्री हैं) में स्थित वाटरिंग कैन फ्लावर मार्किट एक घंटे 20 मिनट पहुँच गये।
चारो तरफ मीलों तक फैले खेत के बीच में यह बिल्कुल हमारे भारत की बड़ी बड़ी नर्सरी का बृहद रूप लिए हुए यह फ्लावर मार्किट था। बागवानी से सम्बन्धित खुरपी. दरांती से लेकर, हर तरह के सब्जी, फल की सुंदर सुंदर पौध और बीज उपलब्ध थे। बागवानी के पुराने से लेकर नवीनतम सभी औज़ारो का जमघट था। बहुत ही मनमोहक दृश्य था यहाँ का, हरियाली तो थी लेकिन व्यवस्थित वातवरण भी आपको बस खींच लेता है।
सबसे छोटी घास से लेकर सीताफल तक की इतनी वैरायटी थी समझ में नही आता क्या दखो क्या न देखो, एक कुशल व्यवसायिकता का अनुपम उदाहरण था यह मार्किट. कचरा हुए सामान यानी जो अनुपयोगी हो गया है। रद्दी उसका भी जगह जगह पर विभिन्न प्रकार के पौधों के स्नैग किया हुआ था।लगता था किसी बड़े कलाकार की रचना है । आप फोटो देखेंगे तो समझेंगे मैं के कहना चाहता हूं
इस बीच भूख तेज हुई तो याद आया की भाई हम तो नाश्ता करने आये थे यहाँ फूल पत्ती के दर्शन थोड़ना करने थे। जब मैंने पूछा की रेस्तरां कहाँ है तो महक ने हंसते हुए बताया की मैं तो उसके बीचों बीच ही खड़ा हूँ। चारों तरफ पेड़ पौधों से घिरा भोजनालय में टेबल भी चरों तरफ से फूल पत्तों से आच्छादित थी। वाकई मन को अच्छा लगा की हम प्रकृति के बीचों बीच नाश्ता करेंगे।
रेस्तरां का मीनू समझना मेरे बस के बाहर था। कौनसा व्यंजन शाकाहारी है कौन सा मांसाहारी, मेरे समझ के बाहर था। लेकिन हमारी महक जी तो इसमें पूरी प्रवीण हैं उन्होंने कहा की पापा यहाँ पर, मैक्सीकन और इटालियन है, मैं आपके लिए एक वेज सैंडविच और साथमें सलाद मंगवा देती हूँ.। बाकी आप चाहो तो नियाग्रा अब यह से 20 मिनट दूर वहां पर इंडियन खा लेना।
मैंने हामी भर दी, थोड़ी दे सबके व्यंजन आ गये । मैंने बड़े बेमन से सैंडविच को उठाया और मूंह में डाला तो एक दम से जीभ चलने लगी और अलग सा स्वाद बनता गया। साथ में हरा सलाद का भी अलग मज़ा दे रहा था। उम्मीद से ज्यादा पेट भर गया।अब वापस भी करते नहीं बनता था। अनजाने स्वाद स्वाद में पेट फूल कर गुब्बारा हो गया। अब चिंता यह हुई की नियाग्रा में क्या खाऊँगा? वहां के भरतीय भोजनालयों के बारे में क्या लिखूंगा? क्योंकि पेट में 20 मिनट के साथ अगले तीन घंटे तक जगह नहीं थी और 4 बजे घर वापस भी आना था।
आ गए नियाग्रा फॉल
कार उठाई और अगले 25 मिनट में हम नियाग्रा के सामने थे। गिरते पानी की भयंकर आवाज़ आपको सहसा आकर्षित करने लगती है। दुनिया में सबसे ज्यादा देखे जाने वाला और दो देशों के बीच नियाग्रा फाल यानी तीन झरनों का समागम, नियाग्रा झरना बिल्कुल सामने था।
मन कर रहा था भाग कर उसके नीचे खड़ा हो जाऊं। खैर मन कुछ भी चाहे लेकिन वास्विकता कुछ और ही है। आज भीड़ काफी कम थी, कार्य दिवस होने के नाते अभी बच्चों के स्कूल भी शुरू हुए हैं इसलिए वरिष्ट नागरिकों की संख्या सबसे ज्यादा थी। कई हज़ार होंगे पर्यटक यहाँ पर लेकिन पिछली बार की तरह धक्के नही थे। हम सब आराम से घूम रहे थे। नियाग्रा का पूर आनंद लिया और फोटो भी कई तरह खिंची और खिंचवाई।
हर बार ज्यादा खूबसूरत नजर आता है। उंचाई ज्यादा नही है लेकिन झरने का फैलाव बहुत है, बहाव इतना तेज है और जिस दबाव से गिरता है वो ही देखने लायक है। उसकी ध्वनि आपको 500 मीटर दूर तक आराम से सुनाई पड़ती है।
पिछली बार हमने फेरी से नीचे जाकर झरने के दर्शन कर लिए थे तो मन उतना उत्सुक नही था या कहे की केवल झरने के नीचे से गुजरने के लिए 2000 रूपये देने का मन नही हुआ। पिछली बार चढ़ा आये थे। अरे भाई इतना वर्णन कर दिया नियाग्रा का जो कि एक ऐसा पर्यटन स्थल है जिससे कानाडा और अमेरिका को हर साल अरबों डॉलर की आय हो रही है।
कैसिनो, पंच तारा होटल, पब्स, स्पोर्ट्स हब, होउंटिंग गेम्स, फ़ूड कार्नर, मनोरंजन के अनगिनत साधन है, जेब में अच्छा पैसा रखिये और नियाग्रा का भरपूर आनंद लीजिये। दुनिया के कोने कोने से पर्यटक आते हैं तो खाने की भी विवधिता भरपूर है।
यहाँ मिलगा भारतीय खाना
यहां पर हर देश का व्यंजन है तो अपने इंडियन यानी भारतीय भी है । जब हमने तलाशे तो तो हमे छ: बहुत ही अच्छे और प्रसिद्ध भारतीय भोजनालय मिल गये. मेरी मजबूरी यह रही की मैं कहीं खाना नही खा पाया लेकिन जानकारी सबकी आपके संग साझा कर रहा हूँ।यह सारे रेस्तरां नियाग्रा के 500 मीटर की दूरी के अंदर ही हैं.. और जब आप यहाँ आयें तो अपने खाने के लिए परेशान न सब मिलेगा..
- रंगला पंजाब : पंजाबी खाने के असली जगह, शाम को यहाँ जगह मिलनी मुश्किल हो जाती है.वेज-नोज वेज की किस्में. छोले भठूरे, राज माँ चावला इत्यादि सब मिलेगा। वो भी मसालेदार. बाकी आपके उपर है.
- नवाब इंडियन कुजीन: मुगलई,लखनवी, हैदराबादी भोजन आपको भरपूर आनंद देगा।
- ढाबा, दी फाल: यह भी अपने पंजाबी और स्ट्रीट फ़ूड के लिए ख़ास जगह रखता हो. वेज-नॉन वेज की कोई कमी नहीं है।
- राजधानी स्वीट्स एंड रेस्तरां: पूर्णतया भारतीय मिठाई, गोल गप्पे, चाट, शुद्ध शाकाहारी भोजनालय, जब हम अंदर गये तो अपने गुजराती पर्यटकों से भरा हुआ था।
- विरसा फाइन इंडियन कुजीन: पंजाबी और उतर भारतीय भोजन के लिए बेहतरीन अड्डा
- दी गुरु फाइन इंडियन कुजीन: आपके मतलब के काफी व्यंजन उपलब्ध हैं यह पर।
- दी इंडियन किचन अरोमा. यह एक मोबाइल फ़ूड कारवान है जो की हमारे यहाँ हर शहर में दिखाई पड़ता है। काफी चीजे थी मेन्यु पर पर जब नज्दीक गये तो वहां लिखा था ‘हलाल सर्टिफाइड’ तो कुछ भाया नहीं और वहां से चल दिए हम
दोस्तों आज की गाथा कुछ ज़रूरत से ज्यादा लम्बी हो गयी। सोचता हूँ की जब लिख रहा हूँ तो ठीक से पूरा वृतांत लिखूं ताकि आपको सही और पूरी जानकारी मिले।
अगले आने वाले भागों में आपकी मुलाकात कराएँगे। जेर्राड इंडिया स्ट्रीट के ढेर सारे इंडियन फ़ूड आउटलेट्स से। वैसे यहाँ पर एक खाऊ गली भी है, देखें उसका नम्बर कब आता है।