हर वर्ष 1 जुलाई को ‘नेशनल डॉक्टर्स डे’ एक खास थीम के साथ मनाया जाता है। इस साल यह “मुखौटे के पीछे: उपचार करने वालों को कौन ठीक करता है?” (Behind the Mask: Who Heals the Healer) थीम पर मनाया जाएगा। ये लोग हमारी जिंदगी के ऐसे ‘सुपरहीरोज’ हैं, जो न केवल बीमारियों का इलाज करते हैं, बल्कि हमें मेंटल और इमोशनल सपोर्ट भी देते हैं। इसलिए इस पुरे सप्ताह हम दिल्ली एनसीआर के प्रसिद डॉक्टर्स पर एक सीरीज शुरू कर रहे है, पहली कड़ी में आज की कहानी मेट्रो अस्पताल समूह के संस्थापक और विख्यात हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. पुरुषोत्तम लाल के बारे में जानेगे ।
रुपिका भटनागर । भारत के चिकित्सा क्षेत्र में एक अनोखी कहानी है डॉ. पुरुषोत्तम लाल (Dr. Purushottam Lal) की, जो न केवल एक विख्यात हृदय रोग विशेषज्ञ हैं, बल्कि मेट्रो हॉस्पिटल समूह (Metro Hospital Group) के संस्थापक भी हैं। उनका जीवन एक प्रेरणा है, जो यह दर्शाता है कि कैसे कठिनाइयों का सामना करते हुए भी व्यक्ति अपने सपनों को साकार कर सकता है।
डॉ. लाल का बचपन, जो कि कठिनाइयों से भरा था, ने उन्हें आगे बढ़ने की प्रेरणा दी। 1972 में, जब वे मेडिकल कॉलेज में दाखिल हुए, तब उनके गांव में पहली बार बिजली आई। इस खुशी के पल में उनके पिता को करेंट लगने से निधन हो गया। इस दर्दनाक अनुभव ने डॉ. लाल को यह समझाया कि चिकित्सा की दुनिया में उनकी भूमिका कितनी महत्वपूर्ण है। वे कहते हैं, “मेरे पिता का निधन मेरे जीवन का टर्निंग पॉइंट था। इसने मुझे अपने पेशे में उत्कृष्टता प्राप्त करने की प्रेरणा दी।”
डॉ. लाल का जन्म पत्तो गांव में हुआ, जहां उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की। बाद में, उन्होंने इंजीनियरिंग के क्षेत्र में अपने बड़े भाई की तरह सफलता प्राप्त करने का सपना देखा, लेकिन जीवन ने उन्हें चिकित्सा के क्षेत्र में ले आया। उन्होंने जालंधर के डीएवी कॉलेज से अपनी प्रारंभिक शिक्षा पूरी की और फिर अमृतसर मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस किया।
वे बताते हैं, “मैंने हमेशा शिक्षा को प्राथमिकता दी। मेरे माता-पिता ने हम सभी भाइयों को पढ़ाई में उत्कृष्टता के लिए प्रेरित किया।” उनके अनुसार, यहाँ तक पहुँचने में कई चुनौतियाँ आईं, लेकिन स्कॉलरशिप और समर्थन के माध्यम से उन्होंने अपनी पढ़ाई जारी रखी।
डॉ. लाल की यात्रा केवल भारत तक सीमित नहीं रही। उन्होंने शिकागो में चिकित्सा की उच्चतम शिक्षा प्राप्त की और वहां इंटर्नशिप के दौरान कई चुनौतियों का सामना किया। “शिकागो में शुरूआत करना बहुत कठिन था, लेकिन मैंने अपनी मेहनत और समर्पण से सभी बाधाओं को पार किया,” वे याद करते हैं।
उनकी विशेषज्ञता ने उन्हें एक नवोन्मेषी चिकित्सक बना दिया है। डॉ. लाल ने ओपन हार्ट सर्जरी के विकल्प के रूप में 20 नई प्रक्रियाएँ विकसित की हैं। इनमें से एक, स्लो रोटेशनल एंजियोप्लास्टी(Slow Rotational Angioplasty), भारत में पहली बार 1989 में की गई थी। यह प्रक्रिया आज भी उनकी पहचान बन चुकी है।
“हम सभी को अपने पेशेंट्स को रिश्तेदार की तरह समझना चाहिए। तभी हम सही मायने में चिकित्सा का धर्म निभा सकेंगे।”
डॉ. पुरुषोत्तम लाल . संस्थापक – मेट्रो हॉस्पिटल समूह
उनके कार्यों की सराहना करते हुए, जर्मनी के विख्यात इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट प्रोफेसर अदनान कस्त्राती(Professor Adnan Kastrati) ने उन्हें “फादर ऑफ इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजी इन इंडिया” (Father of Interventional Cardiology in India) का खिताब दिया है। डॉ. लाल का मानना है कि “जिंदगी एक बार मिलती है और हमें इसे सार्थक बनाना चाहिए।”
मेट्रो हॉस्पिटल समूह ने आज 10 अस्पतालों के साथ एक मजबूत पहचान बनाई है, जिसमें 10,000 से अधिक कर्मचारी कार्यरत हैं। डॉ. लाल के अनुसार, “हमें हमेशा मरीज की भलाई को प्राथमिकता देनी चाहिए।” उनकी पत्नी पूनम लाल, जो अस्पताल का प्रशासनिक कार्य संभालती हैं, कहती हैं, “डॉक्टर साहब की तीन पत्नियाँ हैं- पहली कैथ लैब, दूसरी मोबाइल और तीसरी मैं।”
डॉ. पुरुषोत्तम लाल की कहानी यह सिखाती है कि जीवन में कठिनाइयों का सामना किस तरह किया जाता है और कैसे एक व्यक्ति अपने पेशे में उत्कृष्टता प्राप्त कर सकता है। उनकी मेहनत और समर्पण ने उन्हें एक प्रेरणादायक व्यक्तित्व बना दिया है, जो न केवल भारतीय चिकित्सा जगत बल्कि वैश्विक स्तर पर भी एक मिसाल है।
मेट्रो ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल्स : उत्तर भारत का स्वास्थ्य सेवा का अग्रणी नाम, IPO की तैयारी में
मेट्रो ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल्स (Metro Group of Hospitals), उत्तर भारत में स्वास्थ्य सेवा का एक बड़ा नाम है। डॉ. पुरुषोत्तम लाल द्वारा 1997 में स्थापित, मेट्रो ग्रुप ने 12 अस्पतालों, एक समृद्ध मेडिकल कॉलेज और 2500 से अधिक ऑपरेशनल बेड के साथ, भारत में स्वास्थ्य सेवा में बड़े योगदान देने का लक्ष्य बनाया है। यह नेटवर्क खासतौर पर 10 एनएबीएच और 4 एनएबीएल मान्यता प्राप्त अस्पतालों के साथ पहचाना जाता है, जो इसकी गुणवत्ता और विश्वसनीयता को दर्शाता है।
नोएडा में स्थित मेट्रो अस्पताल, 317 बिस्तरों वाला एक तृतीयक देखभाल अस्पताल है, जिसमें 110 बिस्तरों वाला मेट्रो हार्ट इंस्टीट्यूट और 207 बिस्तरों वाला मेट्रो मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल शामिल हैं। मेट्रो ग्रुप की विशेषज्ञता 30 से अधिक विशिष्टताओं में फैली हुई है, जिसमें कार्डियोलॉजी, पल्मोनोलॉजी, न्यूरोलॉजी, ऑर्थोपेडिक्स, स्त्री रोग और नियोनेटोलॉजी प्रमुख हैं।
सितंबर 2024 में क्रेडिट रेटिंग एजेंसी केयर रेटिंग्स द्वारा जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, मेट्रो ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल्स ने वित्त वर्ष 2023-24 में 1,375.38 करोड़ रुपये का रेवेन्यू दर्ज किया, जो पिछले वित्त वर्ष की तुलना में लगभग 46 प्रतिशत अधिक है। कंपनी का मुनाफा भी 85 प्रतिशत बढ़कर 235.16 करोड़ रुपये हो गया, जो उसके स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में स्थिरता को दर्शाता है। केयर रेटिंग्स की रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि कंपनी का रेवेन्यू अगले तीन वर्षों में 22 प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) से बढ़ने की उम्मीद है।
मेट्रो ग्रुप की अपनी राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) में उपस्थिति के अलावा, मेरठ और जयपुर जैसे अन्य क्षेत्रों में भी विस्तार है। इसके साथ ही, ओमान में एक अस्पताल की स्थापना ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी कंपनी की पहचान को मजबूत किया है।
अपने 27 वर्षों के समृद्ध इतिहास के साथ, अब सार्वजनिक निवेश के माध्यम से अपने विस्तार की योजना बना रहा है। कंपनी ने IPO के माध्यम से 800 से 1,000 करोड़ रुपये का फंड जुटाने का इरादा जताया है, जो नए अस्पतालों के निर्माण और मौजूदा सुविधाओं के विकास में उपयोग किया जाएगा। कंपनी की स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर उत्साहजनक प्रतिक्रिया और पिछली सफलता को देखते हुए, यहां संभावित निवेशकों के लिए यह IPO एक महत्वपूर्ण अवसर बन सकता है। अगले 2-3 महीनों में, मेट्रो ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल्स सेबी के पास अपना ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस दाखिल करने की योजना बना रहा है।
मेट्रो ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल्स, न केवल उत्तर भारत में बल्कि पूरे देश में उच्च गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य सेवाओं का प्रतीक बनकर उभरा है। IPO के माध्यम से जुटाई गई राशि, न केवल कंपनी के विस्तार में मदद करेगी, बल्कि स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में एक नई दिशा भी दिखाएगी। यह कंपनी एक बार फिर से साबित करती है कि अग्रणी स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं में से एक बनना केवल एक लक्ष्य नहीं, बल्कि एक प्रतिबद्धता है।